स्त्रियों की समस्याएं | Striyon Ki Samasyayen

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Striyon Ki Samasyayen by ज्ञानचंद्र - Gyanchandraमोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )रामनाथ सुमन - Shree Ramnath 'suman'

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मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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रामनाथ सुमन - Ramnath Suman

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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<. । स्त्रियो कासुघार ` ` ९११ उन्हे उचित प्रायश्चित्त करना चाहिए, लेकिन सुधार का स्वनाम -कायं तो उन बहनों को ही करना होगा जिन्होने मिथ्या विश्वासो को उर्वीर फेका है और जो जानती हैं कि ख्रियो के साथ क्या-क्या अत्याचार हुए हैं । सियो की श्राजादी का, भारत की श्राजादी का, छुग्माछूत दूर करने का, लोगो की श्रार्थिक श्रवस्था सुधारने श्रादि का कोई भी सवाल ले लीजिए, सब सवाल एक ही सवाल मे मिल जाते हैं और वह सवाल गोवों मे घुसने श्रौर मामीण॒ जीवन का पुनर्सघटन अथवा सुधार करने का है । -- न्दौ नवजीवन, २० मई, १९२६ | २. सिया का खधार “शली पुष की सहगामिनी हे | वह बुद्धि मेँ पर्ष से तुच्छ नहीं है। उसे पुरुष के छोटे-से-छोटे कामों में भाग लेने का अधिकार है। उसे पुरुष की ही माँति स्वाधीनता श्रौर स्वतन्त्रता पाने का अधिकार है।” [| बम्बई भगिनी समाज के सालाना जलसे में, सुरारजी गोकुलदास हाल, बम्नडें, में भाषण देते हुए गाधीजी ने निम्नलिखित विचार प्रकट किये।--- यह श्रावश्यक है कि हम समभ ले कि ख््रियों के सुधार की जो बातें हम करते हैं, उनका अर्थ क्या है । इनके श्रर्थ हैं कि हम पहले से मान लेते है कि खरियो का पतन हुंथ्रा है । श्रगर यह सही है. तो हमें इसके ग्रामे विचार करना चाहिए कि यह पतन किस कारण हु्रा और किस प्रकार हुआ । इन बातो पर गम्भीर रूप से विचार करना हमारा प्राथमिक कर्तव्य है । सम्पूर्ण हिन्दुस्तान की यात्रा करके, सुभे यह त्रनुभव हुच्रा हे किं सारा वतमान श्रान्दोलन हमारे देशवासियों के एक बहुत ही नगण्य भाग तक सीमित है । यह भाग इस विस्तृत नभोमण्डल में एक बिन्दु के समान है । हमारे देश के करोड़ों स्त्री-पुरुषों का जीवन इस श्रान्दोलन की जरा भी जानकारी के बिना बीतता है । इस देश के ८५ प्रतिशत लोग दुनिया से ग्रलग रह कर अपना जीवन बिताते हैं । इन्दे 6




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