नव निधन नानेश वाणी २३ | Nav Nidhan Nanesh - Vani 23
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नव निधान / 41
मेरे पतिदेव कहीं जग न जाएं। यद्यपि आई थी दिल के विचार सुनाने
के लिए फिर भी उसमें विवेक था कि महाराजा की सुख-निन्द्रा भंग
न करूं | स्वाभाविक रूप से निद्रा भंग हो तब में अपनी बात रखूं। वह
खट-खट करके हाथ लगाकर या आहट करके निद्रा भंग करने की
भावना नहीं रखती है । आज के भाई-बहिनों में इस प्रकार का विवेक
है या नहीं ? आज की स्थिति बड़ी विचित्र है। कोई सोया है, उसका
ध्यान न रखकर भाई-बहन धड़ा-धड़ चलेंगे, जोर-जोर से बोलेंगे,
पर यह नहीं सोचते कि मैं इन्हें किस कारण और क्यों जगा रहा हूँ ?
हां, कोई अति आवश्यक कार्य हो और उसके लिए जगाना पड़े तो
अलग बात है पर बिना विवेक के इस प्रकार का कार्य करना ठीक नहीं।
महारानी विवेक वाली थी, स्थिति समझने वाली थी | नय-निक्षेप
का यत्किंचित् उसे ज्ञान था। वह शान्ति के साथ वहां जाकर बैठ
जाती हैं वह महाराजा के सिंहासन पर बैठने की चेष्टा नहीं कर रही
थी। महाराज स्वयं भी इतनी गाढ् निद्रा वाते नहीं थे} किसी-किसी
व्यक्ति को नींद ऐसी आती है कि नगाड़े भी पीटें तो नींद नहीं खुले |
पर महाराजा मामूली सी आहट से जग गये। बोले-कौन ?
महारानी बोली-नाथ, यह आपकी धर्मप्रिया |
'कहो-केसे आना हआ ?'
नाथ ! कुछ विशिष्ट कार्य के लिए आई ह|
महाराज ने उसे बैठने के लिए आसन दिया। यह स्थित्ति
गृहस्थाश्रम की हे। उनके विचारों की व जीवन की स्थित्ति किसं
प्रकार की है, यह भी आप समझिये। वे एक आसन पर बैठना भी
पसन्द नहीं करते थे] महाराज ने स्वस्थ होने के बाद पूछा-तबवियत
तो ठीक है ना ? |
हां महाराज, तबियत तो ठीक है, मैं कुछ विचार रखने आई
हूँ। महारानी ने कहा-मैंने शय्या में सोते हुए एक श्वेत्तवर्ण हाथी को
देखा और वह हाथी राजभवन में प्रवेश करते हुए मेरे पास आकर बैठ
गया। इतने में मेरी नींद भंग हो गई । इस स्वप्न का क्या अर्थ है ?
यही समझने मैं यहां उपस्थित हुई हैँ |
महाराज भी 72 कलाओं के जानकार थे। उन्होंनें कहा-जिन्दगी
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