काठ्निबारी घाट | Kaathanibaarii Ghaat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.13 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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नवारुण वर्मा - Navarun Varma
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महिम बंरा - Mahim Banra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काठनिबारो घाट 5 और दिनों जैसे जहाज आने का समय हो गया था । मै पता लगा लाने को खड़ा हो गया । लड़का टिकट के पसे निकालना चाहता था । मैंने रोक कर कहा अभी टिकट की घंटी नहीं बजी है फिर टिकट मिल रहा हो तो मैं अपने पैसे से ही ला सकंगा । पसा बाद को दे देने पर भी काम चल जायेगा । जहाज आने में देर हो तो हम जरूर चाय पी सकते हैं न ? चलते हुए मैंने पूछा । लड़के ने बहन को ओर देखा । बहन ने होल-डाल को उंगली से दो एक बार ठोंक कर मानो अप आप कहा--फ्लास्क कहां रह गया ? मुझे पहली बार उसकी आवाज सुनायी पड़ी थी + गंभीर यद्यपि मक्खन जैसी कोमलता उसमें मिली हुई--एऐसी आदमी की आवाज हो सकती है या नहीं मुझे पता नहीं । लड़के ने फ्लास्क निकाला । फ्लास्क ले मैं रेलिंग के पास पहुंचा । पास ही एक संस ने पानी से सिर उठाकर मानो रात कितनी हुई है उचक कर एक बार देख लिया । कहीं हुड़ृहड़ाता हुआ कगार को मिट्टी का एक टुकड़ा ढहकर नदी में गिर पड़ा । दूर चायथ- बागान से आती हुई मादल की थकी-सी थाप मूंज रही थी । पता चला आज टिकट देने की कोई आशा नहीं । शायद जहाज कहीं किसी बालचर में फंस गया है । नाराजी से टिकट मास्टर ने बताया । कहत हैं कि पिछले भूकम्प ने टिकट मास्टर की नींद पर भी बालूचर जम। दी है। चाय वाले का परिवार भी भोजन कर चुका था । बच्चे बांस को एक मचान से दूकान के सामान उतारकर उस पर सोने का इन्तजाम कर रहे थे । सामने की मचान पर गद्दी फंला कर प्रौढ़ मोटा-सा दूकान वाला और तीन आदमियों के साथ ताश खेलने में तल्लीन था । मैं वहां पहुंचा ही था कि एक आदमी कह उठा--दस बज गया अब उठना है। बस यही पाली दूसरे ने ताश फटते हुए जवाब दिया । मुझे किसी ने नहीं देखा था | रस-भंग किये बगर मैं खेल देखने लगा । हाटंबन स्पेडबन नो ट्रम्प थ््री डायमंड्स डबल आदि फटके की आवाजें होने लगीं । खेल शुरू होकर खत्म भी हो गया । अंतिम खेल के लिए जोर डालने वाला पक्ष याने दूकान वाला काफी हार चुका था । रसके वाद दूसरे तीनों चलने को तैयार हुए । समझ गया तीनों चाय-बागान में नौकरी करते हैं--रात यहां आकर ताश खेला करते हैं । दूकानदार के मुरझाये काले चेहरे को ओर मैं सहानुभूति से देख रहा था । इतनी देर बाद उसने मेरी ओर ध्यान दिया । बया आपको कुछ चाहिए ? उसने कोमल आवाज से पूछा । -चाय चाहिए थी । दे सकेंगे ? सोने की तेयारी करने वाले बच्चों कं ओर नजर डालते हुए मैंने पूछा । जरूर शायद आज जहाज आयेगा ही नहीं एक छोटा लड़का इसी बीच छलांग भर कर पास खड़ा हो गया । -एक कप ?
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