इंग्लैंड में महात्मा जी | England Me Mahatma Jee
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
319
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इंग्लैण्ड में सहात्माजी
है शौर जिनकी जाहरत नहीं है, उनकी छँटनी कर डालें और
अनावश्यक चीजों को चदन से वापस लौटा दें । श्रौर इसलिए
यह् हमारा पहला काम हो गया ।
इसीमें तीन दिन लग गये श्र चोथे दिन हमने अपनी
सुची निरीक्षण के लिए पेश की । उन्होंने कहा, “अब में तुम्हारी
सूची में दुखल न दूँगा , यद्यपि में यह यह चाहूँगा कि लन्दन
की गलियों में तुम्हें उसी तरह घूमता देख , जिस तरह कि तुम
लोग शिमले में धूमा करते हो । यदि तुम शिमले में एक धोती,
एक कुता और एक जोड़ी चप्पल पहन कर घूम सकते हो, तो मैं
तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि लन्दन में ऐसी कोई बात नहीं है, जो
तुम्हारे इस तरह घूमने में रुकावट डाल स्के। यदि भँ
देखूँगा कि तुम पर्याप्त कपड़े नहीं पहने हुए हो, तो मैं स्वयं तुम्हें
सावधान करूँगा और तुम्हारे लिए अधिक उनी कपड़े प्राप्त
क्ररूगा । लेकिन तुभ किसी एेसे कास्पनिक भय के कारण कुछ
भी न पहनों कि यदि तुम यह न पद्दनोगे तो वहाँ के लोग दुःखित
होगे । विश्वास रक्खो कि वहाँ के लोग तो तुम्हारे अथवा मेरे
प्रास बढ़िया सूटझेस देखकर दुःखित होंगे ।” एक कम्पनी की
तरफ से मेंट-स्वरूप दिये गये चमड़े के एक बेग की तरफ इशारा
करते हुए उन्होंने कहा--'यदि तुम हिन्दुस्थान में खादी के
कोले से काम चला सकते दो, तो इंग्लेगड में क्यों नहीं
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