बृहद अनुवाद - चन्द्रिका | Brihad Anuvad Chandrika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.36 MB
कुल पष्ठ :
707
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about चक्रधर हंस नौटियाल - Chakradhar Nautiyal Hans
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कारक विभन्तयाँ वाक्य में प्रति विसा श्न्गरेण _्न्तरा गऋते सदद साझम श्ोदि मिपातों के योग से भी नाम से परे प्रयुक्त होती हैं। ये विभक्तियाँ नमः स्वस्ति स्वाहा स्वंधा सलम् श्रादि झब्ययों के योग से भी व्यवहत्त होती है । ऐसी दशा में इन्हें उपपद् विभक्तिया फहते हैं | ड कारकों के समझने के लिए छात्रों को अन्य मापाओं का सहारा न लेना ी चाहिए | उन्दें कारकों के ज्ञान अथवा शुद्ध स्वत भाषा में बोध के लिए सरदूत साहित्य का परिशीलन करना चाहिए. । कहाँ कौन सा फारह होना चाटिए इसका. ज्ञान शिट्टों अथवा श्रसिद्ध सस्ट्त प्रन्थकारों के व्यवहार से ही हो सकता है क्योंकि | विवक्तात कारकाशि भवन्ति । लौफिही चेह पिवच्चा स घायोकनी 1 ? । सस्कृत के ब्याफरण में सुबन्त श्रीर तिडन्त के रूपों का प्रतिपादन किया गया है। छातों को ये कठिन श्रौर शुष्क अतीत होत हं। सुबन्त और तिडन्त क समस्त रुपों का याद कर लेना सुगम नहीं है। श्रत. हमने श्राचार्य पाशिनि के नियसों के धार पर छात्रों के लिए वेजानिक एवं सुव्यवस्थित ढज्ञ पर पिपय का प्रतिपादन किया है । __.._झुक-या सुवन्त शब्दों के साथ सात विभक्तियों के तीन वचनों मे २१ लगते हैं। उन विमत्तियों के साधारण जान प्राप्त फरने के लिए हम यहाँ प्मर्तू शब्द के रूप दे रहे हैं । इनमे प्रीय८ सब प्रस्थय सु को छोड़कर रुपों में स्पष्ट हैं सरित् नदी एकबचन द्विंवचन घडुवचन प्रथमा सरित् सरिती सरितः द्वितीया ... सरितमू सरिती सरित ततीया सरिता सरिदुभ्याम सरिदूमि चतुर्थी... सरिते रुरिदूभ्यामू सरिदूभ्य पचमी सरितः सरिद्भ्याम् सरिदूभ्य पट्टी सरितः सरितोः सरितामू सस्तमी सश्ति सरितोः सरित्सु सम्बोधन ... दे सरित् है सरिती हे सरित थी सुवन्त के २१ प्रत्यय श्र्यें एएकवचन द्विवचन बुहुवचन प्र०.. नि स् सु ते श्रसू जसू द्वि०.. को झम् श्रौ श्रोद ... श्रस् शसू तृ०... ि के द्वारा श्रा दा भ्याम मिसू चर... किलिए एड स्यामू भ्यसू पृ० सि झसू डसि श्याम भ्यसू घ्० का के की . यसू डसू द्ोसू झामू स० मे पर इ दि श्रोवू सु सुपफे
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