जिनधर्म प्रश्नमाला | Jin Dharm Prashn Mala

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Jin Dharm Prashn Mala by मुक्तिलक्ष्मी माता जी - Muktilakshmi Mata Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थी प्रश्न 80. उत्तर- प्रश्न 81. उत्तर- ॥ प्रश्न 82. ॥ प्रश्न 83. $ वतक परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते है ? 10 | ४ 1 सिद्ध परमेष्ठी के आर मूलगुण होते है । ४ (1) अनंत दर्शन (2) क्षायिक सम्यक्त्व () अनंत ज्ञान (4) अगुरुलयुत्व | (5) अवगाहनत्व (6) सूक्ष्मत्व (7) अनंत वीर्यं (8) अव्यावाधत्व । डा आचार्य परमेष्टी किन्हें कहते हैं ? । जो मुनि संघ के नायक होते हैं, पंचाचारों का पालन करते हैं और संघ के ही साधुओं से कराते हैं । आत्मार्थी शिष्यों को शिक्षा, दीक्षा, प्रायश्चित देते हैं, ॥ 86 मूलगुण के धारी होते है वे आचार्य परमेष्ठी हैं । ं आचार्य परमेष्टी के कितने मूलगुण होते है ? 12 तप, 10 धर्म, 5 आचार, 6 आवश्यक, 3 गुप्ति ये 36 मूलगुण है । | उत्तर गुण अनेक है । ४ 12 तप कौन से हैं ? ड (1) अनशन (2) ऊनोदर (8) व्रत परिसंख्यान (4) रस परित्याग (5) | विविक्त शय्यासन (6) काय क्लेश (2) प्रायशचित (8) विनय (9) वैयावृत्य (10) स्वाध्याय (11) व्युत्सर्ग (12) ध्यान । . अनशन तप किसे कहते हैं? आत्म साधना के लिए विकल्प रहित उपवास को अनशन तप कहते हैं। . उनोदर तप किसे कहते हैं? भू से कम भोजन करने को ऊनोदर तप कहते है । . व्रत परिसंख्यान तप किसे कहते है ? आहार के समय अटपटा नियम लेने को व्रत परिसंख्यान तप कहते ह । . रस परित्याग तप किसे कहते है? मीठा, नमक, आदि रसों को त्याग करके आहार लेने को रसं परित्याग तप कहते हैं। . विविक्त शय्यासन तप किसे कहते हैं ? एकांत स्थान में उठना, बैठना, सोना विविक्त शय्यासन तप है। . काय क्लेश तप किसे कहते है ? शरीर से गर्मी, सर्दी सहन करने को काय क्लेश तप कहते है । . प्रायश्चित तप किसे कहते है 7 गलती हो जाने पर, मूलगुणों मे दोष लग जाने पर गलती स्वीकार करना ; प्रायश्चित तप है।




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