जिनधर्म प्रश्नमाला | Jin Dharm Prashn Mala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थी प्रश्न 80.
उत्तर-
प्रश्न 81.
उत्तर-
॥ प्रश्न 82.
॥ प्रश्न 83.
$ वतक
परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते है ?
10
| ४ 1
सिद्ध परमेष्ठी के आर मूलगुण होते है । ४
(1) अनंत दर्शन (2) क्षायिक सम्यक्त्व () अनंत ज्ञान (4) अगुरुलयुत्व |
(5) अवगाहनत्व (6) सूक्ष्मत्व (7) अनंत वीर्यं (8) अव्यावाधत्व । डा
आचार्य परमेष्टी किन्हें कहते हैं ? ।
जो मुनि संघ के नायक होते हैं, पंचाचारों का पालन करते हैं और संघ के ही
साधुओं से कराते हैं । आत्मार्थी शिष्यों को शिक्षा, दीक्षा, प्रायश्चित देते हैं, ॥
86 मूलगुण के धारी होते है वे आचार्य परमेष्ठी हैं । ं
आचार्य परमेष्टी के कितने मूलगुण होते है ?
12 तप, 10 धर्म, 5 आचार, 6 आवश्यक, 3 गुप्ति ये 36 मूलगुण है । |
उत्तर गुण अनेक है । ४
12 तप कौन से हैं ? ड
(1) अनशन (2) ऊनोदर (8) व्रत परिसंख्यान (4) रस परित्याग (5) |
विविक्त शय्यासन (6) काय क्लेश (2) प्रायशचित (8) विनय (9) वैयावृत्य
(10) स्वाध्याय (11) व्युत्सर्ग (12) ध्यान ।
. अनशन तप किसे कहते हैं?
आत्म साधना के लिए विकल्प रहित उपवास को अनशन तप कहते हैं।
. उनोदर तप किसे कहते हैं?
भू से कम भोजन करने को ऊनोदर तप कहते है ।
. व्रत परिसंख्यान तप किसे कहते है ?
आहार के समय अटपटा नियम लेने को व्रत परिसंख्यान तप कहते ह ।
. रस परित्याग तप किसे कहते है?
मीठा, नमक, आदि रसों को त्याग करके आहार लेने को रसं परित्याग तप
कहते हैं।
. विविक्त शय्यासन तप किसे कहते हैं ?
एकांत स्थान में उठना, बैठना, सोना विविक्त शय्यासन तप है।
. काय क्लेश तप किसे कहते है ?
शरीर से गर्मी, सर्दी सहन करने को काय क्लेश तप कहते है ।
. प्रायश्चित तप किसे कहते है 7
गलती हो जाने पर, मूलगुणों मे दोष लग जाने पर गलती स्वीकार करना ;
प्रायश्चित तप है।
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