जैन और बौद्ध के दर्शन पर निबन्ध | Jain Aur Bauddh Ke Darshan Par Nibandh

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Jain Aur Bauddh Ke Darshan Par Nibandh by विजय हिमाचल सुरीश्वर -Vijay Himachal Surishvar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विजय हिमाचल सुरीश्वर -Vijay Himachal Surishvar

Add Infomation AboutVijay Himachal Surishvar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
४ ५ साला व्यि मो यतो शर्ट स्ततो भरष्ट, रो जाता दैं प्ताटरा मूखों का वैगग्य भा कुछ समय में बाफूर कौ माति चते षह मगर 'ाता दै श्रठ प्रयम ज्ञान और पीछे दिया घाला सुन्दर श्रागमन वास्य श्रटल ई यमाप ह एव लोह ल्मार वन्‌ श्रभिट हूँ भले ही कोई वादी श्रपनी शृप्टता से उसे खडन करन को चेप्टा करते दें तो भले हो यरें उम से होने वाला कया दूं शरशार 2 गवत्‌ निमू ल दै पूर्याचार्यो न इसी लिये ठो राशीनिक प्रय पन श्रक़ा्य युति से विमूपत गृहत शाय यले रचऱर हमारे उपर महान उपकार किया हैं घह डिमा भी क्षण भुाया नहीं ला सकता क्योंकि उस दान फ विना हम पगृपत्‌ रह वति पिद्रद्‌ ममाज में उड्टान करने की परे उन मह्दापुररर् क द्वारा ही हमें प्राप्त हुई है। शत उन आप पुरुपो के सरा ऋणि ई ) किन्तु दुःख इस बात का है कि आत फे जमाने मे हमारे दानि प्रय केवल शानालयों की 'घलमारीयों सें हो 2 गार रूप हैं घसका श्ष्ययन शौर '्म्यापन विरल्त मददानुमार्वा को छोड फर पमद ही नहीं करते उन्हें तो पसद दै नाटक नौवेल काल्पनिक कथा धीर चाहिये सीनेमा की तर्जे । जिसे पावर निहल से हो जाते दैं और सदू- धर्म से श्रद्धा धिहान होकर नाश्तिकता का ,जामा पहन कर श्वायं परति से हाय धो रे ह भिस देस ,कर. श्रदानशील व्यक्तियों को महान दु सर होता ई पर करे भी दो क्या! दसन शानो ये प्रयेक वसतु वो सिंद् करों में चार प्रमाण माने गये हैं, हुमान अमाण, 'थागम प्रमाण, परसोइयरमाण, 'और भ्रत्य प्रमाण । डी प्रमाणों के द्वारा शिश्ञातु को सरलता से संममाया जा सकता हैं छिस्तु पाश्ात्य विद्वान के च्पासक तो कंबल मत्यक्त प्रमाण हो. स्दीकार फरते हैं, ऐमीं दशा में बिद्वानों के द्वारा समन्वय चुद्धि से सममाया जाय तब तो ठीक है चन्यथा बे,फमी भी मानने को हैवार नहीं हैं लिकन का धारय या है




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now