श्री गुरुवदन भाष्य और पंचखाण भाष्य | Shree Guruvandan Bhashya Or Panchkhana Bhashya

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दवेन्द्र सूरि जी महाराज - Davandar suri ji maharaj

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प्रतापमलजी सेठिया - Pratapmalji Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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< वदण्‌ चि विदुकम्म, पूप्रारम्म्‌ च त्रिणव तम्मच कापव्य सस्य वकेण गदि सदेव कड सुत्तो ५५ कड गाय कइसिर कददिव श्ावस्मथ हि परिसुद्ध कड दोम दिप्प मुरक विद वस्म कीम किरडवा 050 घादन-यन्दन फर्म कट सिंग-फ्तिनी यक्त मस्तक चिग--चिनिकम कई हियनया सिंतने _ सिद्कस्म --रतिकपं बाद से शी--श्राययर्फों प्रा फर्म -पूत्ता कम द्वारा गिणिग्र कम्म--नियकमं परि उड़ -शुद्ध एयर करना यद्‌ दोपनक्लिस दोपोंद्वारा कस्स-दिसे प्ष्पिमुक्प्-रहित च-श्रथया फिइ कम्म-रवि पर्णं केण--फिसने रन्द्र) या द्रि-श्रपया †स्स-क्सिनियं किस्द-क्ियातातार वा-ग्रतय धाषटेर-र्सि समय फट रुदतो क्तिनि ठन कद प्रारय--करितन श्रयनन शर्म एव^देन कमर, २ चितिकमं? 3 तिग्म १४ पनाम न पिनियक्म ये पाच स्सिकोकरना?श्राचायदिको) कन करे{ (सको दय द्रे य्(शान दहा तरोक्रितनी उन करे (२ वत्त) कितना श्रयनत शिष्य सा प्रमाण (दो) किलनी यार मस्तक नमावे * (2पार) फ्नने श्रास्म्यक से शुद्धक्या जाता




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