अध्यक्ष कौन हो | Adhyaksh Kaun Ho
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
309
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजा चल बसा...... ५
कर दिया करती थी । पिल्वरकी अखे धीरे-धीरे उठते हृए सिगरेट के घृएँके
साथ धूम चली-क्या जप निश्चय समझते हैँ कि बलाडं सचमच' खरीदना
चाहता ह?
बूढ़े ने सिर हिलाया-“नहीं;, उसने यह बात तो नहीं कही । ऐवरी बलाडें
कमं चतुर नहीं हं । जसे मने यह नहीं कहा कि मै बेचनेको उत्सुक हूँ, वैसे ही
उसने भी मेरा माल खरीदने की बात कही नहीं । पर यह रूमाल कह रहा है ।
यहू रूमाल देखते हो न ? जिस समय हम लोग भोजन कर रहै थे उस समय
वह् इसे मेज पर रक्खे-रक्खे पूरी रस्सी की भति उमेठकर बट गया ह ।
पिल्वरने पुनः सिर ज्लुकाया-“अ।पकी सम््रक्षण-शव्तिका मै अभिनन्दन
करता हूँ ।
मेरे बेटे ! कुछ बातें फेरीवाला बनकर सीखी जाती हैं। यदि
कोई महिला अपना साया (एप्रन) एऐंठती दिखाई दे तो समझ लेना चाहिए
कि गौठ खोलनेवाली है। उसी प्रकोर ऐवरी बुलाड भी आजकलमे ही पचास
हजार ठनाठन गिन देंगे-साठ भी दे सकते है।”
नूस पिल्वरने अपनी लम्बी टौगें पुनः ठीक कीं ओर अपनी पतली-पतली
उंगजियोसे अपनी पतटूनको तनाव सीधा कर सिया-क्या आप नकद की
बात सोच रहे हैं, जूलियस ? ” स्टीगलने अपना सिर घूमाया-“नकद की ?
हो, नकद की। और क्या?”
रूस पिल्वर के ओटठोके पीछे उस क्षण तक शब्द रुके रहै, जब तक उसने
समझ नहीं लिया कि अब अवसर ठीक हँ-'संभवतः आप मेरी वहु बात भूल
गये जो मेने प्रारंभमें ही इस सौदेकी संभावनाके सम्बन्ध में कहीं थी । ट्रेडवे
के कोषमें कॉमन स्टॉकके दस हजार शेयर भी तो बिना दिये हृए पड़ हँ ।”
स्टीगलने व्यग्रताके साथ कहा-“नकद ही ठीक है ।“
बड़ आश्चयं की बात है।” पिल्चरके स्वरमें धूतताकी तान चढ़ी हुई थी-
“ट्रेडवेका स्टॉक बहुत दूर तक फैला हुआ है और यह कोई बड़ी होल्डिंग भी
नहीं है। दस हजार दोयरोंका पूरा थोक हथियाकर आप एक डाइरेक्टर बन
जायँगे। यह समझिए कि उस कम्पनीका सारा व्यावहारिक कारबार आपकी
मुट्ठी में रहेगा । एवरी' बुलाडंको भी आप सदा अपने अंगूठे तञ रख सकेंगे ।“
स्टीगलने मुस्कराते हुए अपने हाथ बढ़ाये-“मुझे कया पड़ी है कि मैं उसे
अपने अंगूठे तले दबाये रखूँ । मेरा अँगूठा तो यों ही बहुत बूढ़ा हो चुका है।
इस वर्ष में सत्तर का जो हो गया हूँ।”
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