टोकियो से इम्फाल | Tokiyo Se Imphal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) उनके प्रव्यक्त देखने श्रौर समभने का श्रापको श्रवसर मिला । बेंकीक में थाईलेणड प्रादेशिक कमेटी के प्रचार एवं प्रकाशन विभाग के तो आप तष्यक्ष यानो इंचाज ही थे । वहां के अाजाद हिन्द रेडियो के संचालन में पका मुख्य हाथ था श्रौर वहां से प्रकाशित दोने वाले “श्राजाद हिन्द देनिकपत्र के श्राप सम्पादकये। इस सारे अ्रांदोलन श्रोर क्रांति के सूत्रधार. देशभक्ति की भावना के अवतार, राष्ट्रप्रेम की सजीव मूर्ति, पूर्वीय एशिया क हिन्दुस्तानियोंके दृदयसम्राट श्रौर अ्ढ़तीस करोड़ देशवासियों की अ्राशा के श्राधार नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस के निकट संपक में अ्राने का सोभाग्य भी आपको कई बार मिला । जापान के पराजय के बाद बेंकोक से इग्फाल तक ३००० मील की लम्बी यात्रा ग्रापने प्रायः पेदल ही को थी | इससे श्रापको पूर्वीय एशिया के त्रथिकांश प्रदेश की स्थिति को देखने तथां श्रध्ययन करने का प्रव्यक्त अवसर मिला था । इस समय भी दिल्‍ली में श्राजाद्‌ हिन्द कमेटी के प्रकाशन श्र प्रचार विभाग का कयं ग्रापके हाथों मे होने से इस महान्‌ श्रांदोलन को गहराई से श्रध्ययन करने का श्रापको श्रवसर मिल रहा है। एेमे सुयोग्य, ग्रनुभवी, कर्मशील, भावुक ग्रौर सदय लेखक की लिखी हूर पुस्तक के प्रामाणिक और श्रधिक्रेत होने मे सन्देह नदीं किया जा सकता | पुस्तक के सम्बन्ध में लेखक का परिचय श्र उन द्वारा लिखे गये शब्दों को देने के बाद कुछ श्रघिक लिखने की श्रावश्यकता नहीं है, लेखक ने पुस्तक करो पूणं श्रौर प्रामाणिक बनाते हुये महान श्रान्दोलन के इतिहास को सिलसिलेवार देने का पूरा प्रयत्न किया हे । लेखक ने श्रपनी निजी श्रनुमृति को प्रधानता देकर दस्मे जो सौन्दयं शरोर स्वाभाविकता पैदा कर दी है, वह पुस्तक की श्रपनी ही विशेषता है । तीन हजार मील को प्रायः पेदल-यात्रा लेखक के जीवन का सचसे बड़ा साहसपूशं कायं है । उसका विवरण जितना रोचक है, उतना ही उपयोगी श्रोर उत्साहप्रद भी है । सारे ग्रान्दोलन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते दूये उसकी श्रन्त- रिकं सफलता का जो विवेचन किया गया है, उसको भी पुस्तक की एक.




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