राजा महेंद्र प्रताप | Raajaa Mahendra Prataap

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Book Image : राजा महेंद्र प्रताप  - Raajaa Mahendra Prataap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ श्रपने दशमे पैर न रखने दिया ¦ उन्होंने दूरदर्शिता से काम लिया | इस महायुद्ध श्रौर पिछले महायुद्ध में भी यदि इग्लैगड को श्रमेरिका की सहायता न मिली दती, तोग्राज संसार का इतिहास ग्रोर नक्शा कुछ श्रोर दी होता | ब्रिटिश साम्राज्य तो क्या. ब्रिटिश सरकार का अस्तित्व भी सन्दिग्ध ग्रवस्था पर पहुंच चुक्रा थाक श्रमेरिका के घन-जन तथा शस्त्र की सहायता से वह बिनाश से बच गया । श्रपने पैरों तले दबा कर गुलाम रखे गये ह्विन्दुसान से भी कितनी सहायता दोनों दी महायुद्धों में ली गई । युरोप में जर्मनी के पददलित हुये राष्ट्रों की निर्वासित सरकारें बेमुल्क हो जाने पर भी इंग्लेडड मे जा बिगर्जी श्र मित्रराष्ट्रों की सहायता से उन्होंने श्रपने खोये द्यं दश फिर से प्राप्त किये । इथापिया के सप्राट हेल सिलासा ने भी ऐसा ही किया । पोलैएड, डेन्मार्क, फ्रांस, प्रीस, चैकोस्लोवाकिया, हंगरी श्रादि सभी देशों ने विद्शों से सहायता प्राप्त की । बमों के गवर्नर श्रपनी सरकार के साथ हिन्दुस्तान में श्रा कर शिमला में पड़े रहे । श्रमेरिका क' सहायता से बमां में फिर से उनकी सरकार कायम हुई । विश्व की श्राज की श्रन्तरष्ट्रीय परिस्थिति में अकेले रह कर किसी भी देश या राष्ट्र के लिये श्रपनी ्राजादी तो कया, श्रस्तित्व तक की रक्षा करना संभव नहीं रहा दे | नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने श्रपने भाषणों में इस विधय का विस्तार के साथ चर्चा की है श्रोर यह भी बताया है कि श्रूंगेजों के विरुद्ध वे जापान श्रोर जर्मनी से सहायता की श्रपेक्षा क्यों रखते थे ? श्रपने एक सुप्रसिद्ध भाषण में गत महायुद्ध की घटनाश्रों से ली जाने वाली शिक्षा का उल्लेख करते हुये उन्होंने कद था कि “दमने यह जाना कि चेकोस्लोवाकिया के नेता किस प्रकार श्रपनी श्राजादी के सम्बन्ध में प्रचार करने ्रौर श्रास्ट्रिया- दंगरी के बिरुद्ड उसके दुश्मनों से सहायता लेने के लिये फ्रांस श्रौर इंग्लेंढ गये थे | इनकी सहायता से युद्ध के बाद उन्होंने श्रपनी स्वतन्त्र सरकार कायम करने का श्रघिकार स्वीकार कराया | स्वदेश से बाहर गहने वाले चेकों की रंगरूट सेना खड़ी की गई । शत्र के हाथो कंदी बनाये गये चैक




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