पंद्रह अगस्त के बाद | Pandrah Agast Ke Baad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पंद्रह झगस्तके वाद काग्रेस ५
वंटवारेसे अखिल ` भारतीय सस्थाका वटवारा नही होता-
होना भी नहीं चाहिए । हिंदुस्तानके दो सावेभौम गज्योमे
वट जानेसे उसके दो राष्ट्र नही हो जाते । मान लीजिए कि
एक या ज्यादा रियासते दोनो राज्योसे बाहर रहती हूं, तो क्या
काग्रेस उन्हे और उनके लोगोको राष्ट्री य काग्रेससे वाहर कर देंगी ?
क्या वे काग्रेससे यह माग नहीं करेगे कि वह उनकी तरफ विशेष
ध्यान दे और उनकी विद्वेष परवा करे ? यह जरूर है कि
अब पहलेंसे ज्यादा पेंचीदा सवाल खडे होगे । उनमेसे कुछको
हल करना मुश्किल भी हो सकता है, लेकिन काग्रेसके दो
टुकडे करनेका यह कोई कारण नहीं होगा । इसके छिए
काग्रेसको अब तककी उपेक्षा ज्यादा वडी राजनीति, ज्यादा
गहरे विचार ओौर ज्यादा ठडे दिमागसे फंसला करनेकी जरूरत
होगी । हमे पहलेसे ही लाचार बना देनेवाली मुश्किलोका
विचार नहीं करना चाहिए । आजतक जो बुराइया हो चुकी
वे काफी हे ।
सवाल-श्या काग्रेस भरन सांप्रदायिक संस्था बन जायगी ? श्राज
इसके लिए बार-बार मांग कौ जा रही हं । भ्रव जब कि मुसलमान श्रपने
श्नापको परदेशी समते हं तब हम भी श्रपने ूनियनको हिट हिंदुस्तान
कहकर क्यो न पुकारे श्रौर उसपर हिदू-धर्मकी श्रभिट छाय क्यो न लगावें ?
जबाब--पह सवाल पूछनेवालेके घोर अज्ञानको जाहिर
करता हैँ । काग्रेस कभी हिदू-सस्था नहीं बन सकती । जो उसे
हिंदू-सस्था वनाएगे वे हिदुस्तान और हिंद-घर्मके दुष्मन
होगे । हिंदुस्तान करोड़ो छोगोका राष्ट्र है । उनकी आवाज
किसीने नही सुनी है । अगर कोईं दो राष्ट्रके सिद्धातको मानकर
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