टीटो की कहानी | Tito Ki Kahani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( -७ )
वह हमारे साथ बहुत सालों तक रहा और १६ साल तक जीवित रहा । 'पोलक'
न मुझे सदा कुत्तों को प्यार करना सिखाया । जब भी संभव ही सक्ता मेने एक कुत्ता
अवद्य अपने साथ रखा । बाद में लड़ाई के दौरान मे 'लक्स' नामक एक कुत्ते ने
ही मेरी जान बचाई थी ।
उन दिनों क्रोदिया को ६० प्रतिशत आबादी अनपढ़ थी । स्कूल नही के
बराचर ये ओर बहुत से किसान इसीलिए अपने वच्चो को स्कूल भेजना बुरा
समझते थे कि इससे उनके बच्चे खेतों में काम नहीं कर सकते थे ओर उनकी मेहनत
बेकार जाती थी । हों, इस मामले से से भाग्यशाली था । कुंमरोवेत्स में एक प्रारंभिक
स्कूल खोला गया, तब से ७ वर्ष का था । मेरे साता-पिता ग़रोब होते हुए भी मुझे
स्कूल भेजने पर राजी होगये । मुझे पढ़ते में कठिनाई होती थी । 'पाठ क्रोशियन
भाषा में होते थे और अपने नाना के साथ काफ़ो समय बिताने के कारण में
अच्छी स्लोवीनियन भाषा बोलता था । उस पर मुझे काम भी करना पड़ता था ।
पढ़ने के लिए मेरे पास समय का अभाव था । से अपने हाथ में किताब लेकर चरा-
गाह् को भोर चला जाता पर पढ़ना मेरे बस की बात नहीं थी । गाय मुझे रस्सी
पकड़ कर जहाँ चाहती खींच ले जाती । यदि सेरी आँख चूक जाती या रस्सी हाथ
से गिर जाती तो वह भाग कर किसी दूसरे के खेत मे चली जाती थी । पहले साल
मे म पटने मे अच्छा नहं रहा परंतु धीरे-धीरे पठने लगा । जब मेने अपना पुराना
स्कूल हाल ही में देखा तो ज्ञात हुआ कि चतुर्थ वर्ष में मेरे नंबर इस प्रकार थे :--
आचरण--श्रेष्ठ; घर्मशास्त्र--सुन्दर; क्रोदियन भांषा--सुन्दर; गणित ठीक;
ड्रॉइंग--सुन्दर; गाना--सुन्दर; कसरत--अति सुन्दर; बागवानी--अति सुन्दर ।
हमारे स्कूल में ३५० से भी अधिक लड़के-लड़कियों पढ़ते थे । इन सब
के लिए केवल एक ही अध्यापक था। हमारे अध्यापक को तपेदिक था । वह खांसता
भर अपने रूमाल में खून थकता था, जिसे से बाद में झरने पर लेजाकर घोता ।
तब हम उसे आग पर सुखाते, क्योंकि उनके पास चही तो एक रूमाल था, इसलिए
में उसे आधा घंटे में ही लेकर स्कूठ के कमरे में लौट आता था । अध्यापक मुझसे
बड़ प्रसन्न थे और अक्सर मुझे रोटी दे दिया करते थे । एक दिन उनकी माँ आई
और रहें ले गई। हम सब जंगले के पास खड़े होगये । जैसे ही उनकी गाड़ी चली
उन्होने अपना रुमाल हमारी ओर हिलाया, पर हम सब रो रहे थे।
कुमरोवेत्स में यह प्रा थी कि बच्चे रविवार को भी गिरजाघर जायें ।
जव कभी का पादरी वियेकोस्लाच होमोस्तारिच कुमरोवेत्स में सेट रोको के गिरजे
। नहीं उतार सका था जो कि जल्दी में था, तो
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