आगमपथ | Aagampath
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
265
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विनोद कुमार जैन - Vinod Kumar Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यह जानकर मुर प्रसन्नता हुई कि
आगम पथ कानजी स्वामी विशेपांक प्रका
दित कर रहा है । मूर विश्वास दै कि
उसमें पृज्य स्वामी.जी के व्यवितत्व ओर
कतु त्व पर सर्नगीरण विवेचन होगा ' इस
पावन कार्य में मेरी शुभ कामनायें आपके
साथ हैं ।
1 - सेठ पूरनचन्द गोदीका
प अध्यक्ष, पंडित टौडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर
| ^ ^ 4 १२५८४. 9 ०५ क्न
मुभे यह जानकर अति प्रसन्नता हई है कि नैतिक मासिक आगमपय सौराष्ट
के सुप्रसिद्ध आध्यात्मिक संत पूज्य श्री कानजी स्वामी जी के जीवन पर एक वृहद
विशेषांक प्रकाशित करने जा रहा है ।
पूज्य श्री कानजी स्वामी ने वीत्तरागता प्राप्त करने का दिगम्वर जैन समाज
को जो मार्ग दिया वह सैकड़ों वर्पों से ओोझल हो रहा था । क्रियाकाण्ड में ही वीत-
'रागता प्राप्ति को मुख्य रूप से धर्म का मार्ग माना जाने लगा था ऐसे समय में इस
सन्त ने घमं का सच्चा मार्ग दिखाकर एक अद्भुत क्रान्ति पैदा कर-दी । सौराप्ट्र
में आपकी प्रेरणा से सैकड़ों दिगम्वर मंदिरों व जिन विस्वों का निर्माण हूना है व
लाखों दिगम्बर जैन वसते हैं ।
जो शास्त्र आज से 50-60 वषं पूवं तक विद्वानों व पण्डितों कै पटनव
वाचन के योग्य समभे जाते थे उन शास्त्रों को भ्राज लाखों लोग अत्यंत सरसता व
श्रद्धा से पढ़ते हैं यह सब पूज्य स्वामी जी की प्रेरणा व उपदेशों का फल है ।
पूज्य स्वामी जी चिरायु हों व युगो तक उनके उपदेशों से लाभान्वित होते
रहें यही कामना है |
-- श्रीमत लेखयती जन
उपाध्यक्ष, हरियाणा विघान सभा, चण्डीगढ़
कहान-गुरुदेव विशेषांक १७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...