गुजराती प्रेमानन्द रसामृत | Gujarati Premanand Rasamrit
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
466
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनुवावकींय
हमे पद्मश्री नन्दकुमार अवस्थी ( मुख्य न्यासी सभापति, भुवन
वाणी दृस्ट, लखनऊ-३) से परिचित होने का सौभाग्य आज से लगभग
चौदह साल पहले प्राप्त हा । वे स्वथं उस ट्रस्ट के प्रतिष्ठाता है ।
१९६९९ ई० मेँ प्रतिष्ठित भुवन वाणी दृष्ट का छोटा-सा पौधा विकसित
होते-होते आज एक प्रचण्ड, गगन-स्पर्शी वुक्ष के रूप को प्राप्त हो चूका है ।
भाषाई सेतुकरण के जिस उद्देश्य से प्रेरित होकर ट्रस्ट की स्थापना की
गयी, उसकी पूर्ति हो गयी.है और अब उस सेतु के दृढ़ीकरण का काय
चल रहा है।. भारतीय भाषाओ के परस्पर आदान-प्रदान के क्षेत्र में
अनुवाद तथा एक नितान्त अभिनव प्रयोगकेरूपमें नागरी लिप्यन्तरण
का जो अनोखा कार्य ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है, उसकी वराबरी अब
तक कोई भी नहीं कर पाया है। ट्रस्ट का इस क्षेत्र में स्थान एकमेव-
अद्वितीध है- न ऐसा कोई अन्य संस्थान है, न ऐसा कोई अन्य वाङ्मयीन
यज्ञ सम्पन्न हो रहा है। इसका सम्पूण श्रेय श्री नन्दकुमारजी अवस्थी
साहब को ही देना चाहिए 1 वे सिर पुस्तक-प्रकाशन ही नही कर रहे
है, वे अनुवादको का निर्माण तथा संगठन भी कर रहे हैं। अब भुवनं
वाणी दृष्ट पारिवारिक ट्रस्ट नहीं रहा- ट्रस्ट ही एक विशाल परिवार
बन चुका है, जिसके सदस्य है-- ट्रस्ट के न्यासी, विद्वतू-परिषद् के सदस्य,
अनुवादक-मण्डल के सदस्य, ट्रस्ट के हितैषी पाठक, मुद्रणालय के
कमेंचारी । इस राष्ट्र-व्यापी परिवार के सदस्यों की. ट्रस्ट सम्बन्धी
आत्मीयता को विकसितकरने का कायं भगीरथ का्यहै। आजमी
अपने जदम्य उत्साह से श्री अवस्थी साहब उसे उदारमना, निरीह परिवार
प्रमुख के रूप में कर रहे हैं और उसमें हाथ बंँटा रहे है ट्रस्ट के उपसचिव
श्री विनयकूमारजी अवस्थी । उन्हीं दिनों, जब हमारा श्री अवस्थी
पिता-पुत्र से केवल पत्नाचार से ही परिचय हुआ, हम उनसे. प्रभावित हुए
भौर उन्ही की प्रेरणा से ट्रस्ट के कार्य में सहयोगी हो गये ।
फल-स्वरूप, हमने गुजराती के गिरधर-कत रामायण के नागरी
लिप्यन्तरण जौर हिन्दी गदयानुवाद का श्रीगणेश क्रिया। एक अने
कार्य को करते रहने के विचार से हमारे दिलो-दिमाग़ पर उन दिनों अजीब-
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