सपाट चेहरे वाला आदमी | Sapat Chehare Wala Aadami

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sapat Chehare Wala Aadami by दूधनाथ सिंह - Dudhanath Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दूधनाथ सिंह - Dudhanath Singh

Add Infomation AboutDudhanath Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रीष १५ वह निकलना मही चाहता था । जो भी हौ, वह्‌ उचै कही छोड राया था । तब बहु बहुत छोटा-सा था । कोमल और बिल्कुल भोला । वह सोचता था कि बह रस्ता भूल भया होगा ओर लोटकर फिर नही झायेगा । लेकिन एक दिन वहू लीर श्राया । वहू दफतरते चौट रहा था कि भ्रचानेक ही बह रास्ते म खडा, दिखाई दे गया । द्धोटा-सा, 'मबरे-भवरे वाल, छोटी-घीटी मिचमिंची आष जिनमे कटी गहरी पहचान भौर उलाहने का माव था। कषरा भर को बह रुक गया ग्रौर उसे देखता रहा । फिर वह तेज़ी थे मुडा और भीड में बामिल हो गया 1 नहीं वह “उसे ' बुला नहीं सकता था । बहू उसे पुचकार नही सकता था ! बह उसके संग भ्रपना थीडा-सा भी वर्वेत अर्वेले में गुज़्ारने लायक नहीं रद गया था । सडक के उस झोर बहुत बडा मंदान था .. या कि रेशिस्तान । लोग कहते थे--धीरे-धीरे वह रेंगिस्तान शहर के अन्दर तक बढ़ता हुआ चलाभ्रा रहा है । श्रधेरे मे सफेद, किरकिरी रेत उड़ कर घरों, सड़कों, मफानों, घोरस्तों भर भ्राद्मियी पर बिछ जाती है भ्रौर सुवह्‌ वहं हिस्सा वजर क भीतर चला जाता है। उसने सोचा--वह उसी मरुभूमि मे लोट गया होगा, जहाँ वह उसे छोड़ आया था | भीड के साथ-साथ श्रागे वंढते हए भी वह बार-वार पीछे मुडकर उस झोर देखता रहा । उसे लुप्त होता हुभा देखता रहा । इसी मतस्थिति में वह घर लौटा और चुपचाप जाकर अपने कमरे में लेट गया । वह वेयी झाया धां ? श्रचा्नक ही, उस भीड-मरी सडक पर पहचान जताता हुमा, चह क्यों खड़ा था--इतने दिनो वाद शायद लोग, उसे इस तरह उजबक की तरह संड होकर उसकी श्रोर देखते हुए लक्ष्य कर रहे थे । क्या उनमे कोई परिचित भी था ? उसे वुछ भी याद नहीं श्राया । वह्‌ इतना परधिकं भिभूत हो गया था. उसके इष तरह्‌ श्रप्रस्याधित खूप से प्रकट हो जनि पर..-इतना अधिक डर गया था कि उसने श्ौर कुछ भी नहीं देखा । तभी उसे श्रहसास हुआ कि वह भीड में है शरीर सडक के नियम के सिलाफ़ पौष, पुड्‌ दूर शरोर देख न्ह है + दूसरे-तीसरे दिन भी उस घास जगह पर एक बार नर दौढाना बह नहीं भुला । लेकिन घह्टीं कुछ भी मही था । उस भर बहुत दूर क्ितिज में रेत का उड़ता




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now