स्वामी रामतीर्थ | Swami Ramtirth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छुरुह कि जंग ? गंगा-तरंग १ ¦ प्रष्न-बात्त-वातमे आपते एक स्थप्ल का उदाहरण दस देते हैं । योरपियन फ़िलॉसफ़र ते इसको पसंद नहीं करते 1 उत्तर--अच्छा | इम स्वप्न फी चर्चा न किया फरेंगे। आप और 'आपके गुरु यारपियन पण्डित श्पप्गावस्था में प्रतिदिन निरन्तर मारे-मारे फिरना ही बन्द कर दें । पढ़े आध्यर्य की चात है। आठ नी चजे तक तो प्रति. , दिन स्वप्ने दौड फेा सच मानकर कीं फे क्य व्याषएूल जओौर फुरवाल फे गेंद की तरद छुदकते फिरते है, ओर सं घे जागफर फिर दूसरे स्वप्न ( संसार ) के चक्र में रे पफसते ६ कि बाह्य विषयों (हा तण एलान्कला) को भूल्शुेयां मे प्रस्त हकर पक वास्तविक घात ( एठा (एम, 5०1ात (१८६ ) का नाम लेना भी अंगीकार नहीं फर सकते । स्वप्न में यदि ऐसा मालूम दो जाय कि यदद स्वप्न है, ते। चद्द स्वप्न महीं रदता+ जाग आ जाती हैं । सर्व-साधारण यारप्यन लोग और उनफे चेले चारि कृ हद्‌ यदि इन्द्रियजन्य विषयों के स्वप्न ओर खयाल मा हने का चर्चा सुनकर सदैते है. ता उसके यइ अर्थ हैं कि उनका जागना चुरा जान पढ़ता है। स्वप्न का दादाक यनने म स्वाद देते हैं; रात से विशेष प्रेम रखते , हैं, और अँघेरे में चलना-फिरना पसंद फरते हैं । ' आधे संखार पर सब समय रात रददती है; और आधे जगत्‌ मे दिन । दूसरे शब्दों मं आधा जगत्‌ प्रति, समय स्वप्न में रहता है । और स्वप्न ओर सुषि का साघ्राल्य विष््दव्याप्त देने से कु संशाय न्दी 1 वड आश्चयं की वात ह कि योरपवाले ने आत्मा . का. तच्च वणेन करते समय




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