प्रशासनिक संस्थाएँ | Prashasanik Sansthaen

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Prashasanik Sansthaen by सरोज चोपड़ा - Saroj Chopada

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6 /प्रशासनिक रास्थाएँ समाज की विचारधारा को प्रधान आचार्य हैं। समाजवादी समाज म॑ व्यक्ति की अपक्षा समाज, समूह व राज्य का अधिक महत्व हे। अत सामृहिक हित के सम्मुख व्यक्तिगत हित को तुच्छ रमञ्ञा जाता है । रोकार क कथनानुसार -समाजवाद उन प्रवृक्तिया का समर्थक है जा सर्वमान्य कल्याण पर जोर देती हे। समाजवादी समां पूजीवाद का विरायी है ओर उसका अन्त कर दना चाहता है। रागाजवादी समाज की धारणा हे फि र्भूजीपति लाग अने घन के कारण श्रमिकाका शोषण करते ह ओर उन्ह अपन श्रम का समुषित पारिश्रमिक नहीं प्राप्त करने दतं है। समाजवादी समाज प्रतिरपर्धा का भी विराघ करता है। डा हार्डनरोस्ट क॑ शब्दों मं “समाजवाद रथानीय राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिरपर्धा क रथान पर सहयाग रथापित करने फा पक्षपाती हे रागाजवादी समाज विधमताओं को दूर कर समानता रथापित करने का पकशबर है। लपलय ने लिखा है कि “राव समाजवादी रिद्वान्तों का ध्यय यह है कि सथ सामाजिक दशाश्राम अधिकं समानता लाई जाए। रामाजवाद रावका समान्‌ करने वाला और एक रतर पर लाने वाला है। रामाजवादी समाज म वैयक्तिक रवत्व का अन्त कर उसे रार्वजनिक वना दन की बात कहीं जाती है तथा उत्पादन क राधर्ना परं रामाज या राज्य के नियाण की पात करत है। कुष विचारक रप्पूर्ण कल कारखाना पर राज्य के नियत्रण के पश्षघर हैं, ता कुछ प्रमुख व बड़ व्यवसाय राज्य के अधीन रखना चाहते हैं ! कुछ विचारक रामाजवादी समाज मे राहकारिता का मत्व दत हैं। इन सभी मतमेर्दा के रह्त टुय भी राभी विधारक इरा पात पर एकमत र फि आर्थिक उत्पादन का कार्य व्यवित्तयौ कं हाथा ग न रहकर रामाज या राज्य कं नियव्रणं म रहना चादिय। अत रामाजयादी समाज राजनीतिक शत्र ग लाकतत्रवाद का रामर्यन करत है। समाजवादी समाज, रज्य क कार्॑ेत्र क सम्यन्य म॑ भी एक नया विचार प्रस्तुत करतां ६। सगाजवा्दी समाज फे अनुरार राज्य का कार्यं कवल शाति और व्यवरथा कायम रखन तक सीमित नहीं हं । राज्य को बाद्य ओर आन्तरिकः भया रा दशा की रता के साथ-साथ मनुष्या कौ व्यपित्तमत आर सामुदायिक उन्नगि करना भी उराका कर्य है। रापुदायिक उन्नति म ही मनुष्य की व्यक्तिगत उन्नति निहित है। अत राज्य मनुष्या की सामुदायिक उन्नति हृतु साधन है| सामृरिक जीवन के विभिना रूपा से गानव के घनिष्ठ सम्पन्ध है। आर्थिक सामाजिक और सारकृतिक जीवन एक-दूसर रा जुड़ हैं। राज्य रावॉपरि जनसमुदाय है। अत राज्य का कर्व्य है कि मानव कं राभ जीवन रासुदाया को नियत्रित करे। सानव का व्यक्तिगत रित सापुदायिक हित पर मिर्गर करता है। अत मानव के व्यक्तिगत कार्यी को नियप्रित करना और व्यक्तिगत शितों का सम्पादन करना भी राज्य का कार्य है । 'समाजवादी समाज के लक्षण समाजवादी समाज क लशणी का रपष्ट रूप से वर्णन कर सफना संग्गय मर्म है क्याफि: समाजवादी सपाज क सदरम कटु विधारघाराएँ प्रचलित 1 रपपर वर्णित




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