नागपुरी शिष्ट साहित्य | Nagapuri Shisht Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
153
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रवण कुमार गोस्वामी - Shravan Kumar Goswami
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रवेशक 9 €
देलौ का सनू १८९६० ई० में यहाँ आगमन हुआ. पर इस समस्या का कोई समाधान
नहीं निकल सका 1
सन् १८६५ ई० में यह् श्रान्दोलन अपनी चरम-सीमा पर था । इसी समय
'विरसा मु डा नामक आदिवासी नेता का प्रादुभवि हुआ । बिरसा ने जो आन्दोलन
चलाया ठह भृमि तथा धर्म दोनों से सम्बन्वित था । बिरसा ईसाई पादरियों के भी
विरोधी थ्रे । उन्होंने यहाँ के लोगों को यह संदेन दिया-- यहाँ की भूमिके स्वामी
हम हैं । इसके लिए किसी को मी मालगुजारी न दी जाय । हमें जागना चाहिए और
गैर-ग्रादिवासियों को यहाँ की भूमि से निकाल वाहर करना चाहिए ताकि हम अपना
नासन स्वयं संभाल सकें । संसार में ईइवर सिर्फ एक है श्रतः अन्य मगवानों तथा
परेतं आदि की पुजा वन्द की जाय । हमे स्वच्छ तथा सच्चा जीवन व्यतीत करना
“चाहिए 1 हृत्या. चोरी, ठ आदि महापाप है ।””
विरसा का यह दावा भी था कि (विजली की कड़क के समय) उन्हें ईव्वर
से सत्येरणा प्राप्त हुई है और वह ईदवर दूत हैं । आगे चलकर उन्होंने अपनी देविक
बक्ति का परिचय मी लोगों को दिया, फलतः वह भगवान कहे जाने लग मए)
विरना के बढ़ते हुए प्रमाव के कारण भ्रग्रेज चिन्तित हुए, क्योंकि विरसा के अनुयाविओं
ने सजन्त क्रांति प्रारस्भकर दी थी । > च्रगस्त, १८६१५ ई० को विरसा अपने अनेक
=नाचियो के नाय वन्दी बनाए गए । सतू १६०० ई० में उनकी मृत्यु जेल में हैजे से
हो गई, ऐसा कहा जाता है 1”
विसुतपुर थाना के जतरा उरांव ने सन् १६१४ ई० में ्टाना भगत
स्रान्दोलन” शुरू किया । ईसाई धमं स्वीकार कर ॒लेनेवाले अ्रादिवासियों कौ आर्थिक
अवस्था भ्रत्य आदिवासियों की शअ्रपेक्ना तेजी से सुधरने लगी, फलतः आन्दोलनकारियों
ने श्रगरेजी जासन के साय प्रसहयोग प्रारम्म कर दिया! इन्होंने अपने को महात्मा
गयी का अ्ननुयायी वताया । सराय ही इन्टोने सादगी तथा पवित्रता का संदे लोगों
को दिया 1 टाना भगत मादक द्रव्य, मसि, नृत्य, संगीत तथा शिकार से दूर रहने हैं ।
ये सिफ॑ टाना भगत के द्वारा बनाया गया भोजन ही खाते हैं तथा विवाह श्रपनी जाति
के वाहर नहीं करते 1*<
कामे के दवारा चलाए गए ब्रसहयोग चान्देलन मे साय लेने के कारण टाना
भगतो को काफी कष्ट उठाने पड़े, फलस्वरूप ॒स्वतन्वता के पञ्चात् इनक्ती न्विति
“सुधारने के लिए श्रनेक उपाय किए जा रहे है ।
ग्राज का संपुणं छोटानामपुर चिगेषतः सची एक श्रौद्योगिक क्षेत्र के रूप में
९ [4
'परिवतित हो गया है, जहाँ छोटी-वड़ी घटनाएँ तथा गतिविधियाँ होती ही रहती हैं
-१=. एन ० डी ० प्रसाद, डिस्ट्रिट सेसस हूँद बुक रॉँची, १९६१, पृष्ठ ४
9६. वही, पुप्ठ ४ 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...