मास्टर साहब | Master Sahab

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Master Sahab by रविंद्रनाथ ठाकुर - Ravindranath Thakur

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore

Add Infomation AboutRAVINDRANATH TAGORE

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मास्टर साहब १७ 3; _बेणु की आयु जव ग्यारह वर्ष है। हरलाल एफ० ए० पास करके, छात्रवृत्ति पाकर थडेइयर में पढ़ रहा है। इस वीच कॉलेज में उसके दो-एक मित्र न बन गये हो, सो नही है; परन्तु वह्‌ ग्यारह वर्ष का बालक, उसके सब मित्रो से अधिक है । कॉलेज से लौटकर, बेणु को माथ लेकर वह गोलदिग्धी एवं किसी-किसी दिन ईडन-गाडेन में घूमने जाता, उसे ग्रीक-इतिहास के वीर-पुरुपों की कहानियाँ सुनाता, उसे स्कॉट और विवटर ह्यू गो की कहानियाँ, थोड़ी-थोड़ी करके, बगला मे सुनाता--उसके समीप अंग्रेजी कविता को उच्च स्वर से पढ़कर, उसका अनुवाद करके व्याख्या करता । उसके समीप शेक्सपियर के “जूलियम सीजर' का अथं करके, उसमे से ऐन्टनी की वक्‍्तूता को कण्ठस्थ कराने की चेप्टा करता । यह एकमात्र बालक, हरलाल के हृदय-उद्वोधन के लिए सोने की सलाई जैसा हो उठता । अकेले बैठकर जब पाठ याद करता था, उस समय अंग्रेजी साहित्य को वह इस तरह से मन मे ग्रहण नही करता था, अब वह इतिहास, विज्ञान, साहित्य जो कुछ पढ़ता, उसमें कुछ रस पाते ही उसे सवसे पठते वेणु को दमे कौ उत्कण्ठा अनुभवे करता एवं वेणु के मन में उस आनन्द का सचार करने की चेप्टा से ही उसकी स्वयं की समझने की शक्ति मौर आनन्द का अधिकार भी जैसे दुगुता बद्‌ जाताथा। वेणु स्कूल से अते ही किसी तरह ज्ञटपट जलपान समाप्त कर, ह्रलाल के पास जाने के लिए एकदम परेशान हो उठता, उसकी माँ उसे किसी भी बहाने, “किसी भी प्रलौभन से, अन्त.पुर मे पकड़ कर नही रख पाती थी । ननीवाला को यह अच्छा नही लगता । उसे लगता, हरलाल अपनी नौकरी को बनाये रखने के लिए ही, इस तरह से उसे वश मे करने की चेप्टा कर रहा है। उसमे एक दिन हरलाल को बुलाकर परदे की ओट में से कहा--'ठुम मास्टर हो, लड़के को केवल सुवहू एक घण्टा, शाम को एक घण्टां पढ़ाओगे--दिन-रात उसके साथ क्यों लगे रहते हो ? आजकल तो वह माँ-बाप किसी को भी नही मानता है। वह कैसी शिक्षा पा रहा है ? पहले जो लड़का माँ के कहते ही एकदम नाच उठता था, भाज उसे पुकारकर भी नही पाया जा सकता । बेणु हमारे वड़े घर का लड़का है, उसके साथ तुम्हारी इतनी घनिप्टता किस लिए है?”




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now