ऋग्वेद - शतकम | Rigved-shatakam

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Rigved-shatakam by स्वामी अच्युत्नंद सरस्वती - Swami Achyutnmad Sarswati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कि का कप पड पक चेक पैक. पद पद सो. न पीस पूजनीय परमेश्वर का द पथ शक पलपल न है प्रभु की ही उपासना प्राथना और स्तुति करनी चाहिये ॥१॥| है अधिः न्तनरुत । से देवाँ एह वंक्षति ॥॥र॥। १1१1२॥ पदा्थ-- अभि . परमेश्वर पूर्वेभि ऋषिभिः प्राचीन ऋषियों से उत और नूतने नवीनों से इंड्यः स्तुति करने योग्य है। स वह देवान्‌ देवताओं ह को इदद इस संसार में आ वक्षति ै प्राप्त करता है । है नतार्थ--पूर्व कल्पों में जो बेदाथ को है जानने वाले महर्षि हो गये हैं और जो न्रह्म- चयांदि साधनों से युक्त नवीन महापुरुप हैं # इन सच से बह पूज्य परमात्मा दी स्तुति बा या बकि प व. य- बंद दा ७. 3. या पक पक. की कक. चक- पेड पर पतन वि




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