स्वास्थ्य विज्ञान पर एक भारतीय वैज्ञानिक की नवीन खोज | Savasthy Vigyan Par Ek Bharatiy Vaigyanik Ki Naveen Khoj
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
73
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ८)
[व ]--झतः अवस्था १ और रेमे भूस्थल पर प्रत्यक स्थान पर
ह्र समय कुलं नकं दुगन्ध नक्ता करदी रै यह जौ धारयो क शरीर
म अवस्था नं८ २ में भी निकलती है । जा पाचन क्रिया से पैदा होती
हैं. ऋ्न्तर ऋबल यह है कि अवस्था १ कौर ३ से तो यह विकार पैदा
करती हैं परन्तु अवस्था २ में यह मनुष्य के लिये पाचन क्रिया में उप-
यागी होती हैं इन तीनों अवस्थानां में परिचतन अर दुर्गन्थ की
उत्पात्त खयं हाती रहती है न्तर एतनः ६ शचस्था त~ मे
यह पारवतन क्र उमस दुगन्ध समुष्यों के लिये पूंजी का घाटा देने
वाली होती है अवस्था नं0 २ में सनुष्यां के स्वास्थ की ब्द्धी करती है!
आर अवस्था न० ३ मं मनुष्यों के स्वास्थ को रोग उत्पन्न करती है । यही
कारण हैं कि खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखते के लिये श्र मनुर्प्यों फ
शरीर म॑ पाचत बुद्ध करसे के श्र विष सो नए द्रत क दिय नये २
साधना का ाविष्कार हुआ | जिन पर घाणी मात्र वा जीवन निर्भर हैं
सश्र म मनुष्य क जीबन पाषण मं ऊपर की हृड् दीनों अस्थात्यां
का हाना आबश्यक हैं इसके थिना मनुष्य का जीवन सम्भय नहीं अर
यह् परथते पगता राक थी नहीं जा सकते ।
घ्म गह् दख चुके है कि भूस्थल पम तीनां अपम्थाओं में एत्येफ
स्थान पर कुल न कुछ दुगन्घ पदा होती ही रहती हैं । अत: जहाँ कहीं
भी मनुष्य रहते हैं वर्ड पर दुगन्व तैदा हाना निशित दै भोर नानव
न का दुर्गन्ध उत्पत्ति से घनिष सम्बन्ध है । बुद्धितान बतुष्य इस
दगन्व का व्पनों बुद्धिमना आए तये र साधतों से कम करते रहते हैं
अर जो कु मो दुगन्व पद दा जाता है उसे ताघता से सघ कर ई
है । इसके विपरत मुख लोगों का न ता दर्गन्ध उत्पत्ति परह) वश
चलता है, न इसे नर करने में हो सफल होते हैं श्रीर परिणाम स्वरूप
रोग ग्रसित हो जाते हैं ।
[न] बह सड़ाव गलाब से उत्पन्न हुई दुगन्ध 'अपनी -उत्पत्ति के
User Reviews
No Reviews | Add Yours...