श्री यशोविजय स्मृतिग्रन्थ | Shri Yashovijaya Smriti Granth

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Shri Yashovijaya Smriti Granth by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९५ युत भोगीठाक संदिसरा अने वकीछ श्रीनागकुमारे भाठेखेसां संत्मरणो पण आप्यां ठे, शाम कु ४६० पाना राण प्रुत पर्थ सपृ वन्यो छे, सनी उजबणी पूर्व विद्वादो उपर एक परिपत्र मोकवामा अग्रो जन तेमां ' ढेखो वरेरे छापी प्रस्िद करवामां घाकरो ' ए वचन भापवाम अवेद, ते अने पूं धतं भद्‌ थाय छै, एके ज स्थे उपाध्यायी ऊनी कुमा वष जीवनसामपर हेय तो भविष्यमं तेम विपे वधु अम्याप्त करवानी के उख़बानी कामना करनारने ते सहायमूत थह पड़े, ए इृष्टिनि छृक्यमां राखी * सुजसवेीभास ' तथा जगाउ अ्रगट थयेला, कोई कोई ठेखोने सुधारी बधारीने दाख़छ कर्या हे, उपाध्यायजीनुं आधारभूत जोवन चेखि हजू छुधी मी आव्युं नथी. जे कोड थोड़ी घरण। बिगहो मड़े छे ते सुजसवेलीमासमांधी. बाकी रही दंतकथाओ भाम पूरती सामग्रीना अमति तेमना जीवन-कबन साद्धियनी व्यापकं ने ईडा उम्यास पूवैक समीक्षा करना व्यक्ति गगा छे, णा महापुरषनी राह्म विहता भने तेओोश्रीना महान व्यक्तिवनी छाप तेमना गर्थोना साचा भभ्यासकों उपर पढ़े छे, हेने परिचय विश जनता अने भव्य दिदे थाय ए इष्ट ठे आ प्य ते पदेये स्फुट कतौ विषयना अम्यातकोने अमयासमं पेशवा प्रस्तावना रूप ई परे एतौ भाया रावी घु पहती नंथी, छेखोने प्रम्यस्थ करवानों विर्णय छेवायों प्यारे कशी ज मुी न हती ते ऐेतीमां न गावं इंकारवामं भवेछठ सदभाग्ये पाछठणी हमोईना श्रीविजयदेवछुर जिन संघे, सारी एबी मदद क्री, तेम ठत तेना पांच छ गुणो सचे थयो छे आर्थिक सफोचना करणे प्रथते बने तेटछो सादो कन्या सिवाय दहो न हतो ुोभनोना सदै कता सादन मनोता प्ण फदिक दिउ हछावनरी होय ठे भावा सादा मर्थनी धंतरसपृद्धि यो नथी, एव वाचषे सात्र आपीए छीए, भे बगेरेनी पारावार मुस्केडीओने छीवे मुदण कामे ज्रण अ्रण प्रेस जोया. छतां कहेवुं जोईए कै दे बसत परि प्रपर ठि ना साक माई श्रीनयन्ति़ दढ अमाहं आ कां परततु मानोने उससाहपूर्वक करो आयु छे. बने प्रेसना मुख्य कार्यकर श्रीकषान्तिहवाह गाह भने तेमना सहकार्यकरोए पण पूर्ण सहकार गाप्यो हे. श्रीयशोविजय शारस्वतसननी ऊजवणी तथा पू उपाध्यायलीना पवित्र हस्ताक्षले छात्ता ब्छोको तथा प्रन्थावरण बगेरे छापी आपबानु काम अमदाबाद दीपक प्रिटरीना मालिक श्रीनटुमाइए करी भां छ. पन्थं आकण डमोईना उत्साही वित्रकर श्रीरमणिकलाल चुनिलाल गे तैयार कई 8. परित श्रभवाचल परेमच॑द शि ष सदमोषन वभे येमा रागक सहाव करी ठे. बाइन्डिग शरीफकोरमाई वापुभाईंए करी आयु ॐ. मा सोनो अमे लेत करणपूवक शामा मानीए छप.




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