वैज्ञानिक आविष्कर्ता | Vaigyanic Avishkerta

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Vaigyanic Avishkerta by मृत्युंजय चौधुरी - Mrityunjay Chaudhuri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किताबें पढ़ा करता । एक दिन उसके एक चाचा ने किताब हाथ में लिये हुए उसे एक पेड़ के नीचे बैठा देख लिया। उस समय वह गणित के एक प्रश्न को हल करने में लगा हुआ था। जब उसके चाचा ने म्यूटन में पढ़ने की ऐसी लगन देखी तो उसने उसकी माँ से कह-सुन कर उसे फिर से स्कूल में बिठलवा दिया | स्कूल की पढ़ाई खत्म कर चुकने के बाद न्यूटन कैम्बरिज के विश्वविद्यालय में भरती हुआ । यहाँ पर वह बड़ी लगन से गणित का अध्ययन करने लगा | सन्‌ १६६५ ई० में लंदन में बड़े जोर की प्लेग फैंली । इस डर से कहीं कैम्ब्रिज में भी प्लेग न आ जाये न्यूटन अपने घर भाग आया । इन्हीं दिनों उसने अपने घर के बाग में पेड़ से सेब के एक फल को गिरते हये देख कर गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज की | जब उसने सेब को नीचे टपकते देखा तो सोचा जिस प्रकार पृथ्वी सेब को अपनी ओर खींच लेती है उसी प्रकार चन्द्रमा को भी खींचती है और उसे अपने चारों ओर घूमता हुआ बनाये रखती है। यदि चन्द्रमा उसके चारों ओर चक्कर लगाना छोड़ दे तो वह भी सेब की तरह पृथ्वी की ओर खिंच आयेगा । सुनने से यह सब बड़ा गोरखधन्धा जान पड़ता है। किन्तु गुरुत्वाकर्षण के नियम का ठीक यही मतलब है कि विश्व का प्रत्येक पदार्थ एक दूसरे को अपनी ओर खींचता रहता है। जिस प्रकार चुम्बक लोहे को खींचता है उसी प्रकार पृथ्वी भी एक बड़ा भारी चुम्बक है। सेब और पृथ्वी एक साथ एक दूसरे को खींचते हैं किन्तु सेब छोटा होने के कारण जल्दी पृथ्वी की ओर चला आता है और पृथ्वी बड़ी होने की वजह से अपनी जगह से इतना थोड़ा खिसकती है कि हम अन्दाज नहीं 17




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