दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि | 1827 Digambar Or Digambar Muni

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1827 Digambar Or Digambar Muni by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२८ २९ ३० ३९१ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४0 1 ४२ ४३ ट ४५ 1 ४७ ४८. भम०-भगवान महावीर, ले बा कामतप्रमाद जैन (सूरत २४५५) भमबु+-भगवान महावीर और म. वुद्ध, ले.वा. कामताप्रसाद जैन (सूरत, २४५३) भमी भटारक मीमासा (गुजराती) (सूरत, २४३८) भाइ.- भारतवर्ष का इतिहास, ग्रो ईहवरीप्रसाद कृत (इण्डियन प्रेस)। धाप्राराण- भारतवर्ष के प्राचीन राजव, सा. श्री वितवेरवरनाथ रेउ कृत भाग १-२ (बम्बई, १९२० व १९२५)। मजेई.-पराठी जैन लोकाचे इतिहास, श्री अनन्ततनय कृत (वेला १९१८ ई) मज्झिम, -मज्झिमनिकाय (वौद् ग्रथ), (ए॥ 725 $0००८॥४ ऽ€11९५)। मप्राजैस्पा८-मध्यप्रातीय जैन स्मारक, त्र उीतलप्रपाद जी कृत (सूरत) मजैस्मा.-मद्रास मैसूर प्रान्तीय जैन स्यारक, ब्र. शीतलप्रसाद जी कृत (मग्न २४५४) मूला०-पूलाचार, श्री वहूकेरस्वामी कृत रश्राण~रलकरण्डक श्रावकाचार, स॒ श्री जुगलकिशोर मुख्तार (मा ग्र बम्बई, १९८२)। राइ.-राजपूताने का इतिहास, रा.व, गौरीशाकर हीराचन्द ओझा (अगमर १९८२)। लाटी~लाटोसहिता, श्री प. दरवारीलाल द्वारा सपादित (मागर व्य्‌ १९८४) विर -विद्वदूरलमाला, श्री नाथूराम प्रेमी कृत (वम्वई १९१२ ई.) विको० -विङवकोष, स श्री नगेनद्रनाथ वसु (कलकत्ता) वृजैश०-वृहत्‌ जेन शब्दार्णव भरा १, ले. श्री वा विहीलाल जी चंनन्व (वारावकी, १९२५ ई )। वेज वेद पुराणादि प्रथो पे जैनधर्पं का अस्तित्व, श्री मक्खननन ङ्न (दिल्ली, १९३०) सजै- सनातन जैन धर, श्री चम्पतराय कृता सागार:-सागार धर्मापृत, स श्री लालाराम जी (सूरत, २४४२) सप्राजैस्माम-सयुक्तपरानतीय जैन स्मारक, श्र व्र जीतलप्रमाद ज करन । गग १९२३)। सूस-सूरीरवर ओर सप्रार, ले.श्री कृप्णलाल (आगय, १९८९)। दिगम्बतत्व आर दिगम्बर मुनि 7 प्र




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