बालनीतिमाला | balinitimala

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
3 MB
                  कुल पष्ठ :  
174
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(९)
चिरंजीवी मूखे पुत्र का तो होते ही मर जाना
अच्छा, क्योंकि मरने पर तो एक दो बार दुःख देता
है ग्रेर जीता रहा तो सारो उम्र दुम्ख देगा ।
क्रुगवि म रहना, नीच कुल की रद, बुर
भाजन, ख्डाका सरी, मृख पुत्र, विधवा कन्याये छ
बिना आग ही रोर के जलाया करते है 1
सीवदीहेजा चतुर श्रार पचित्रहै;खी वदी
है जा पतित्रता हो; खी. वदी है जिस पर पति
का प्यार दो; भ्रार ख्री चद्दी है जा सदा सच
बोछती दो ।
समय केसा है ? मित्र कोन है ! देश कैसा है?
लाभ-व्यय क्या है? में किस का हूँ या केसा हूं ?
रोर मेरी क्या ताक्रत हैं १ ये सब बातें मनुष्य का
बार वार विचारनी चाहिएँ ।
घ्राह्मण, क्षाघिय श्रार वैश्य का देवता अभि है ।
मुनि का देवता दयम रदता रै ? मरौ का
देवता मृत्यो मै रदता है, भोर समदशिंय-
शानिरयो--का देवता सव जगह रहता है ।
 
					
 
					
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