बालनीतिमाला | balinitimala

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balinitimala  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९) चिरंजीवी मूखे पुत्र का तो होते ही मर जाना अच्छा, क्योंकि मरने पर तो एक दो बार दुःख देता है ग्रेर जीता रहा तो सारो उम्र दुम्ख देगा । क्रुगवि म रहना, नीच कुल की रद, बुर भाजन, ख्डाका सरी, मृख पुत्र, विधवा कन्याये छ बिना आग ही रोर के जलाया करते है 1 सीवदीहेजा चतुर श्रार पचित्रहै;खी वदी है जा पतित्रता हो; खी. वदी है जिस पर पति का प्यार दो; भ्रार ख्री चद्दी है जा सदा सच बोछती दो । समय केसा है ? मित्र कोन है ! देश कैसा है? लाभ-व्यय क्या है? में किस का हूँ या केसा हूं ? रोर मेरी क्या ताक्रत हैं १ ये सब बातें मनुष्य का बार वार विचारनी चाहिएँ । घ्राह्मण, क्षाघिय श्रार वैश्य का देवता अभि है । मुनि का देवता दयम रदता रै ? मरौ का देवता मृत्यो मै रदता है, भोर समदशिंय- शानिरयो--का देवता सव जगह रहता है ।




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