हिन्दी में प्रयुक्त संस्कृत शब्दों में अर्थ - परिवर्तन | Hindi Me Prayukt Sanskrit Shabdon Me Arth Parivartan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
44 MB
कुल पष्ठ :
406
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हिन्दी भाषा की शब्दावली में संस्कृत का भ्रंश भ
केलोगः, विल्सन, कोलन्रुक श्रादि विद्वानों ने हिन्दी की दाब्दावली में संस्कृत के
श्रश को समस्त शब्दावली का लगमग नव-दरामांद माना है। श्रन्य भारतीय
आयं-भाषाश्रों में भी संस्कृत (तत्सम श्रौर तद्भव ) शब्द प्रचर संख्या मे पाये
जाते हैँ । डा० सुनीतिकरुमार चटर्जी का श्रनुमानदहैकि “श्राजकी किसी भी
श्राधुनिक श्रायं-भाषा में संस्कृत शब्दों का परिमाण लगभग पचास प्रतिशत
कहा जा सकता है ।' दक्षिण भारत कौ तमिल, तेलुगु, कन्नड, मलयालम श्रादि
द्रविड़ भाषाश्रों' तथा ब्रह्मदेश, स्याम, इण्डोनेरिया, मलयद्रीप, सुमाघा, यवद्ठीप,
१. एस ° एच° केलोग : ए प्रामर श्राफ .दि हिन्दी लँग्वेज, पृष्ठ ४१--
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२. जे° विल्सन ने मोत्सवथं के मराठी को (द्वितीय संस्करण) के
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३. भारतीय झ्रायंभाषा श्रौर हिन्दी, पृष्ठ १३७.
४. “सुसम्य द्रविड़ भाषाओं पर झ्रायंभाषा के दोनों रूपों, संस्कृत तथा
'प्राकृत, का प्रभाव पड़ना ईसा-पुर्वे की झताब्दियों में ही श्रारम्भ हो गया था ।..
प्राचीन तमिल मे तमिल वेश में मौजूद प्राकृत शब्दों की संख्या काफी
ऑआइचयंजनक है; तेलुगु रौर कन्नड मे भी प्राकृत शब्द उल्लेखनीय संख्या में
ह; रौर जहम तक विद्रज्जन-व्यवहूत संस्कृत शब्दों का प्रश्न है तेलुगु, कन्नड
तथा मलयालम भाषाये, इनके 'तत्सम' रूपो से, जिनके वणे-विन्यास भी ज्यों
के त्यों हैं, बिल्कुल लबालब भर गयीं । तमिल भी इस क्रिया से बच न सकी;
हा, उसने भ्राये-शब्दो के वणं-विन्यास का ्रावश्यक रूप से सरलीकरणं या
तमिलीकरण श्रवर्य कर लिया । इस प्रकार संस्कृत का हिन्दू जीवन में वही
स्थान दक्षिण में भी हो गया, जो उत्तर में था” । सुनीतिकुमार चटर्जी :
भारतीय झामें-भाषा श्रौर हिन्दी, पृष्ठ ७१.
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