सरल राज्य - शासन भाग - 2 | Saral Rajy Shasan Bhag - 2

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Saral Rajy Shasan Bhag - 2 by पण्डित नर्म्मदाप्रसाद मिश्र -Pandit Narmmadaprasad Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १० | पाठ हे नागरिक ओर उसके अधिकार नागस्कि का झध--साधारण बोलचाल की भाषा में नागरिकः ( 0४९९ ) शब्द कां अर्थं (नगर का निवासी है; परन्तु शास्त्रीय दृष्टि से उन सब लोगों को जो किसी राज्य ( 3७8७० ) में रहते हों तथा राज के प्रति अपने कतंब्य का पालन करते हुए श्रपने राज के शासन-प्रबंध में भाग ले सकते हों नागरिकः कहते है । इस व्याख्या के श्रनुसार किसी छोटे से गाँव मे रहनेवाला मनुष्य भी उसी प्रकार नागरिकः है जिस प्रकार किसी षडे गव में रहनेवाला । ' नागरिक” को श्रा मी कह सकते है । (नागरिकः होने के लिए धर्म, जाति, वणं शादि की भिन्नता बाधक नहीं हो सकती । हिन्दू, मुसल- मान, इसाई, पारसी श्रादि जो किसी राज में रहते हों श्नौर जिन्ह अपने देश या राज के शासन-प्रबन्ध में भाग लेने का धिकार होवे उस देदा के “नागरिक हैं । नागरिक के गुण प्रत्येक नागरिक जन्म से ही अपने साथ कुछ अधिकार लेकर संसार में भ्राता दै। ये अधिकार उसे राज के द्वारा दी. मिलते हैं ।




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