जंगम युग प्रधान भट्टारक - श्री जिनदत्त सूरिजी महाराज का संक्षिप्त जीवन चरित्र | Jangam Yug Pradhan Bhattarak - Shri Jindutt Suriji Maharaj Ka Sankshipt Jeevan Parichay

Jangam Yug Pradhan Bhattarak - Shri Jindutt Suriji Maharaj Ka Sankshipt Jeevan Parichay by धनपति सिंह - Dhanpati Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) नई श्राविकाएं आवें उन को इन के ऊपर “ बैठा देना । गुरु महाराज ने व्याख्यान नियमालुकूल आरंभ कर दिया । जिस समय ६४ योगिनियां ९४ ह्यो के वेष भे आई, उस समय श्रावको ने उन को बड़े भद्र समान सहित उन पटं पर बेठा दिया, व्याख्यान समाप्त होने पर योगिनियों ने उठना चाहा तो वह उठ नहीं सकीं झर्थात वहां ही स्थंभित हो गई । सब यह चमत्कार देख कर आश्चयं करने लगे, और योगिनियां नम्र' शीस होकर कहने लगीं “हे भगवन्‌ ! हम ` तो आप को चलायमान करमे यई थीं प्रतु आपने तोदहमें दही निश््वल कर दिया, हे भगवन्‌ ! आज से इम आप के आधीन है भविष्य 'में हम आपकी आज्ञालुसार कार्य




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