लावनी - ब्रह्मज्ञान | Lavani - Brahmgyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.08 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की छांवनी--बह्तान '# . [ १७३:
हरपाया। वियोग करके बने नरसिंह हुप्को गिराया ॥ योगकिया
ने शिंव. शंकर को अति -सत्ताया । वियोग करके
बिष्णु ने मंस्मकर जाया ।। योगी . पढ़ते योग शाख्र
वियोगी का है वेद बढ़ा 4 हमने जाना .योग से वियोग का है
जद बा ॥ १ ॥ योगीं बनके चा जंरुन्थर हरसे युद्ध कीना
भारा । वियोग करके हरी ने छठी लखन्घर की दारा ॥हुस
+:का योग घटगया पकड़के शिवे ने हुप्को सहारा इसीसे कहते
योग से वियोग का रखा न्यारा ॥ योग.कियां कसा ने मांग |
1 श्रीकृष्ण को बीचारा । वियोग करके कृष्ण ने केश पकड़ उस. |
को मारा ॥ योगी करते योग विधी से. वियोगी का है निषेध
1 बढ़ा । हमने जाना योग से वियोग का है मेद बढ़ा! २॥ |
योग कान की श्रीकृष्ण ने. सप्तियों को मेंजी पाती । कहती
| सषियां ऊधो यह बात नहीं. मन में भाती ॥ योगी धारें
| भस्म हमने वियोग..में जाली छाती .। योगी .मइको .पीवें
हम बियोग में हैं मदमाती ॥ योगी बांपें. सेहली हमने
वियोग की. बांधी गाती । 'जाय के मो ऊंण्ण से कही
: पद. सलियां समझीतीं । बियोगी. बेषे हीया योगी तो काम
कंते बडा । हमने जाना योग से बियोग का है भेद |
बढ़ा ॥ ३ ॥ योगी कहते ज्ञानवियोग फिरें में दीवाने ।
1 जिसको नहीं बह योग के रस्ता. क्या जाने । योगी तो
न जंगरू में वेढे चढावते अपना. प्राने । वियोग करके वियोगी
“| घट आतंम पहिचाने ॥ योगी के शिर जय-बियोगी शिर से
1 पर हैं मस्ताने । कहें देवीसिंह योगी से दियोगी .हैंगे सर्याने
1 वनारसीने वियोंग साधा योगें देखा खेद बडा । हमने. जाना
. | योग से बियोग का हैं मेद बा ॥ ४॥ .. ,
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