लावनी - ब्रह्मज्ञान | Lavani - Brahmgyan

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Lavani  - Brahmgyan by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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की छांवनी--बह्तान '# . [ १७३: हरपाया। वियोग करके बने नरसिंह हुप्को गिराया ॥ योगकिया ने शिंव. शंकर को अति -सत्ताया । वियोग करके बिष्णु ने मंस्मकर जाया ।। योगी . पढ़ते योग शाख्र वियोगी का है वेद बढ़ा 4 हमने जाना .योग से वियोग का है जद बा ॥ १ ॥ योगीं बनके चा जंरुन्थर हरसे युद्ध कीना भारा । वियोग करके हरी ने छठी लखन्घर की दारा ॥हुस +:का योग घटगया पकड़के शिवे ने हुप्को सहारा इसीसे कहते योग से वियोग का रखा न्यारा ॥ योग.कियां कसा ने मांग | 1 श्रीकृष्ण को बीचारा । वियोग करके कृष्ण ने केश पकड़ उस. | को मारा ॥ योगी करते योग विधी से. वियोगी का है निषेध 1 बढ़ा । हमने जाना योग से वियोग का है मेद बढ़ा! २॥ | योग कान की श्रीकृष्ण ने. सप्तियों को मेंजी पाती । कहती | सषियां ऊधो यह बात नहीं. मन में भाती ॥ योगी धारें | भस्म हमने वियोग..में जाली छाती .। योगी .मइको .पीवें हम बियोग में हैं मदमाती ॥ योगी बांपें. सेहली हमने वियोग की. बांधी गाती । 'जाय के मो ऊंण्ण से कही : पद. सलियां समझीतीं । बियोगी. बेषे हीया योगी तो काम कंते बडा । हमने जाना योग से बियोग का है भेद | बढ़ा ॥ ३ ॥ योगी कहते ज्ञानवियोग फिरें में दीवाने । 1 जिसको नहीं बह योग के रस्ता. क्या जाने । योगी तो न जंगरू में वेढे चढावते अपना. प्राने । वियोग करके वियोगी “| घट आतंम पहिचाने ॥ योगी के शिर जय-बियोगी शिर से 1 पर हैं मस्ताने । कहें देवीसिंह योगी से दियोगी .हैंगे सर्याने 1 वनारसीने वियोंग साधा योगें देखा खेद बडा । हमने. जाना . | योग से बियोग का हैं मेद बा ॥ ४॥ .. ,




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