मोन्टीसॉरी शिक्षा - पद्धति | Montisori Shiksha Paddhati

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Montisori Shiksha Paddhati by बंसीधर -Bansiidhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ ) जिस के अनुसार साधारण बालकों को शिक्षा दी जाती थी । श्रपनी इस जिज्ञासा को पूर्णतया तृप्त करने के लिए श्राप रोम के विश्वविद्यालय में द्शन-शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में दाखिल हो गई । इस के साथ-साथ ्रापने प्रायोगिक' मनोविज्ञान श्रौर मानव-वंदा-शास्त्र का शअ्रध्ययत भी प्रारभ कर दिया । श्रंध्ययन समाप्त होने. पर श्राप को. रोम. के विश्वविद्यालय मं मानव-वंरा-शास्व का श्रध्यापक' . नियुक्त किया गया । . लेकिन श्राप तो बालक की सेवा के. लिए पदा हृई थीं, इसलिए इस काम में श्राप का मन नहीं लगता था । श्राप .तो बाल-दिक्षा के लिए ही अपना जीवन अ्पंण करना चाहती थीं । मानव-्जाति के उद्धार के लिए ग्राप इसी काम को स्वेश्रेष्ठ मानती थीं | सौभाग्यवस इस समय इटली में गंदी बस्तियों मं बसनेवाले मजदुरो के बालकों की. शिक्षा का प्रदन उप- स्थित हुआ । देशभक्त टालमोना ने माता मोण्टीसोरी से इस विषय मं बातचीत की श्रौर इन गरीब बच्चों की शालाग्रों का संचालन करने का श्राप से श्राग्रह किया । प्राप तो एसं शुभ श्रवसर की खोज में थीं ही । श्रापने सहषं श्री टालमोना का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया श्र अपनी सरकारी नौकरी को ठुकरा दिया । श्राप के मित्रों,




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