कृषि और किसान उत्तरी भारत में | Agriculture And Peasants In Northern India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
35 MB
कुल पष्ठ :
321
श्रेणी :
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फलम् उरके ये उपयुक्त क्षेत्र का नाम
डा छं कौन त्थो नम
प्रिय * ~ प्रेय लीं णन्
नीलार् ~ वारीणमु
वरीष्दि ~ प्लेहीयमु
ऋः ~ इध्लुरााऊटन् , दक्षुधग किन्
दल -- तुलराऊट्, वना किन्
भमरकीश के टीकाकार क्षी रस्वामी ने मसर ॐ येत के लिये मासरीण”
8 जताया पाया हद
|
अवैर शाऊ के क्षत्र के लिये शाकशाकट एव॑ शङचाष्किन शब्दौ को पीदया है |
थे तब्द अमरकोश वै नहीं (दये गये रै |
¢ ।
इससे यह स्पष्ट दवेता दै ¢ कुन भिलऊर अर के काल से लेकर
। । ठीं- । 2वीं शताब्दी तक अनाज एवं वाकं ॐ दइूषिषि हेतुं पेतं की उपयुक्तता
पर उत्तरोतर विशेष ध्यान दद्या जनै लणव |
विशिन्न फसलों ॐ (लिये उपयुक्त शव का परीक्षण
कि वि दि वि. कि. हि 2 कह का = ति) हि विवि दी 02४ ॐ 8 1; ऊ |
एक तरल , व्यावदाीरक विधि सिलती है ।. इसके अलुलार अनाज के बीजों को
तः कि पय नो शि भः भः वारि किः प = सनका श, वकम) कषण पि = मेनन अ किवं चे (क दितः शिरे = क्के क्ण तः को कदम दनाः कम्
|~ अनरक्कैश 2.98 पर टीका।
मरन; ककः म श सपा
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