श्री धर्मचंद सरावगी एसी 6245 | Shri Dharamchand Saravagi Ac 6245
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
517
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीसरे दुर्गादतजी--उनके दो पुत्र--महाबीरजी और मानिकचस्दजी रांची में
ही बहुत बड़ा व्यापार करते हैं। चोथे पुत्र रिखबचन्दजी, इनके पांच पुत्र हैं--
विजयकुमारजी, सज्जनकुमारजी, प्रकाशचन्दजी, रामभवतारजौ ओर सतोषकूमार
जी रांची मे व्यापार करते हे।
गोवद्ध नदासजी--ये जोखी रामजी के सबसे छोटे पुत्र थे पर उन्होंने अधिक
आयु नहीं पाई, केवल ३८ वर्ष की आयु में ही स्वर्ग सिधघारे । उन्हें एक लड़की
थी भौर तीन लड़के । बड़े लड़के मदनलालजी छोटी उम्र में ही गुजर गए। उनके
तीन लडके हुए--प्रेमचन्दजो, सत्यना रायणजी और ताराचन्दजी जो रायपुर में
काफी बडा व्यापार करते हं । दुसरे नेमिचन्दजौ ५० वष को आयु पाई, उन्हे कोई
लडका नहीं हुआ । तीसरे मोतीलालजी आजकल कोडरमा मे रहते है । उनके
तीन पत्र है--असोक कुमारजी, पवनर्कुमारजी ओर विमलकुमारजौ। ये कोडरमा
में ही व्यापार करते हे। 7]
जीबनवस / ११
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