श्री धर्मचंद सरावगी एसी 6245 | Shri Dharamchand Saravagi Ac 6245

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तीसरे दुर्गादतजी--उनके दो पुत्र--महाबीरजी और मानिकचस्दजी रांची में ही बहुत बड़ा व्यापार करते हैं। चोथे पुत्र रिखबचन्दजी, इनके पांच पुत्र हैं-- विजयकुमारजी, सज्जनकुमारजी, प्रकाशचन्दजी, रामभवतारजौ ओर सतोषकूमार जी रांची मे व्यापार करते हे। गोवद्ध नदासजी--ये जोखी रामजी के सबसे छोटे पुत्र थे पर उन्होंने अधिक आयु नहीं पाई, केवल ३८ वर्ष की आयु में ही स्वर्ग सिधघारे । उन्हें एक लड़की थी भौर तीन लड़के । बड़े लड़के मदनलालजी छोटी उम्र में ही गुजर गए। उनके तीन लडके हुए--प्रेमचन्दजो, सत्यना रायणजी और ताराचन्दजी जो रायपुर में काफी बडा व्यापार करते हं । दुसरे नेमिचन्दजौ ५० वष को आयु पाई, उन्हे कोई लडका नहीं हुआ । तीसरे मोतीलालजी आजकल कोडरमा मे रहते है । उनके तीन पत्र है--असोक कुमारजी, पवनर्कुमारजी ओर विमलकुमारजौ। ये कोडरमा में ही व्यापार करते हे। 7] जीबनवस / ११




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