हिन्दी साहित्य की ऐतिहासिक चर्चा | Hindi Sahity Ki Aitihasik Charcha

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Hindi Sahity Ki Aitihasik Charcha by गंगाराम शर्मा - Gangaram Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ४ यद्यपि इसके कई भेद हैं, परन्तु हिन्दीसाहिव्य मे श्रधोलि- खित दो भेद बहुत प्रसिद्ध १ राजनैतिक दोहे अथवा सदुक्तियाँ आदि, जैसे रहीम के कबीर के वचन | गीति काव्य । इसका लच्तण और वणेन श्रागे किया जाएग श्रव्य काव्य (गद्य) इसके कई भाग हैं । जैसे:-- १, उपन्यास २. कहानी ३, निबन्ध ४. समालोचना ५. जीवनीं ६. पत्र-पत्रिकाएँ यदि हिन्दी-साहित्य के इतिहास पर एक दृष्टिपात किया जाए ओर उसकी मुख्य प्रवृत्तियों का अध्ययन किया जाए तो समस्त साहित्य का इतिहास चार कालों मे विभक्त होता है:- १ अआदिकाल या वीर गाथाकाल-१०५०-१३५५ सं० तक २ पूवेमध्य काल या भक्तिकाल-१३५५- १७०० सं० तक ३ उत्तर मभ्य काल या रौतिकाल-१७००-१९०० सं० तक ४ च्राधुनिक काल या गद्य काल-१९०० स...... इन चारों कालों का हिन्दी-साहित्य पढ़ने से मालूम होता है कि, वतमान युग से पहिले हिन्दी-साहित्य एक ही रूप में 'अथात्‌ पद्य रूप में हो था। इससे यह स्पष्ट हुआ कि हिंदी-साहित्य अपने इतिहास के पू के तीन,कालों में पद्य में ही रहा और पयय के हम दो रूप ऊपर बता आए हैं-प्रबन्ध तथा मुक्तक । संक्षेप में बोत




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