स्वावलम्बन | Swavlamban

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Swavlamban by बाबु मोतीलाल जैनी - Babu Motilal Jaini

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ बारहवा अध्याय । न ० सदाचार ओर खुजनता । मनुष्यके अधिकारकी चीजोंमें चरित्र सबसे बढ़कर है--फ्रेंकिनका चरित्र-- सदाचार शक्ति है--लाई इर्सकीनके चारित्रिक नियम--जीवनका उद्देश ऊँचा होना चाहिए--सचाई--सुंशी गंगाप्रसादके चरित्र के विषयमें मिस्टर डीलाफोसका विचार तुम दूसरोको जैसे माद्धम होते हो वास्तवे भी वैसे दी वनो--काम- काजमें इमानदारी--आदतोंका असर--आदतोंसे ही चरित्र बनता है--आचरण- शिष्टाचार और दयाछता--सच्ची नम्रता--विलियम और चार्ल्स प्रांट--सेठ राणूरा- वजी--सच्चा सजन--सज्जनका एक गुण आत्मसम्मान--रानडेकी स्वाभाविक न-- म्रता--एडवर्ड फिजजिरल्ड--सज्जनों के अन्यान्य गुण--इमानदार जोन्स हानवे-- ड्यक आफ वेठिंगटन और निजामका मंत्री--उदारचरित वेलेजठीका १५ लाखकी सेंट अस्वीकार करना--घन और सुजनता--निर्धनोंमें भी वीर और सज्जन होते है एक उदाहरण--पालीतानाके जैनबोर्डिंग हौसके मंत्री कँवरजीका सौजन्य ओर स्वार्थत्याग--सम्रार्‌ फ्रांसिसकी सुजनताका उदाहरण--सज्जन मनुष्य सच्चा होता है--फेल्टनहार्वे--पाण्डवॉंका वीरव्यवहार--बरकिन्देड और टाइटेनिक जहा- जोँका हवना ओर वीरता खुजनताके उदाहरण-सन्ननोकौ एक सची परीक्षा अपने आधीनोके साथ कैसा व्यवहार करते दै--अन्धा ङा मोष्टौ ओर एक युवक-- राल्फ एेबर क्रोम्बीका गुण आत्मत्याग--सच्चे सज्जन और कार्यकुशल मनुष्यका चरित्र केसा होता है... ... ८.८८. ««« «८ ««« ««« -««एष्ठ २९३ से २४८ तक ।




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