सर्वोदय समाज | Sarvodaya Samaj

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sarvodaya Samaj by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
यही मैने कहा । इस पर वे क्या जवाव देते हैं ? वे कहते हैँ तुम लोग पाकिस्तान से डरते हो न? मैं नहीं डरता, ऐसा मैं उनको वतलाता हूँ। मैं यही वात आपके सामने रखता हूँ और अपना लम्बा थापण मैं समाप्त करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि आज के जो अध्यम हैं, वे कार्य को चलावें । अप्पासाहव पटवर्धन : माई जगन्नाथन्‌ को स्वागत्ताव्यक्न नियुक्त 'करने में तमिलनाडवासियों ने अगर उदारता वतायी है, तो मेरे-जैसे एक सादे, भोले, अपरिचिंत सेवक को ऐसे डे जलसे का अध्यक्ष बनाने में जलसे के चालकों ने उससे भी वड़ी उदारता वतायी है। मेरा परिचय देने की जरूरत पड़ी थी; और एु० काकासाहव ने मेरा परिचय देते हुए कहा भी है कि में मूक सेवक हूँ। एक मूक सेवक से बड़े वक्‍्तृत्व की अपेक्षा तो आप रखेंगे ही नहीं । मेरा तो इरादा था कि इस साल के जलसे में में उपस्थित न रहूँ और उसकी अध्यक्षता करने का प्रसंग मेरे ऊपर आता भी नहीं । मैं पिछले दो जलसों में उपस्थित था । पिछले साल जगनाथपुरी में हमको भादेश मिला था, १९५७ के आखीर तक कास करने का । इस आदेश पर अमल करने से पहले फिर-फिर से आकर नया आदेश माँगने का अधिकार भी क्या हैं हमको ? मेँ तो पुरी से यहीं खयाल करके आया था कि १९५७ तक यहीं काम मुझे पुरी एकाग्रता से करना हैं और मेरा इरादा था कि महाराष्ट्र की पदयात्रा ही जारी रखकर उसीमें मैं मर्त रहूँ। लेकिन एसे ही सव संयोग अये कि वह्‌ यात्रा भी स्थगित रखी गयी और मुझको यहाँ आनें का आग्रह भी हुआ और जव वह यात्रा स्थगित की, तो यहाँ आना मेरा कतंव्य भी हुआ। हाँ, मेरे जैसे कार्य- कर्ता से मार्गदर्दन की तो अपेक्षा आप लोग रखते ही नहीं । मैं जो वोलूंगा वह मार्गदर्शन के लिए नहीं, लेकिन परिप्रदन के रूप में होगा । मैं भी आपके जैसा ही एक कार्यकर्ता हूँ । मेरे अनुभव, काम के अनुभव और आपके अनुभव, इसमें चहुत-सी समानता होगी, ऐसी मेरी कल्पना है। सर्वोदय का लक्ष्य यह तो सर्वोदय-सम्मेलन है । सर्वोदय का एक अमल कार्यक्रम हमारे हाथ में आया है। भूदान-यज सर्वोदय का एक महत्त्वपूर्ण साधन है । सर्वोदय-समाज की णु म, नि




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now