मंजरी ऑपेरा | Manjari Opera
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
526
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मंजरी ऑपेरा | १४
गोरा बाबू और मंजरी न जानते हों--और सिर्फ वे ही वयों, दल के प्राय: बहुतेरे लोग
इसके अन्दरूनी अर्थ को समझते है ।
कॉमिक ऐवटर वोका वादू दल छोड कर चला गया; वह कहा करता था, “चाहे
हरि के चरणों में तेल लगायें या उन पर तुलसी ही चढायें मास्टर साहब, आपको कंस
रावण की भूमिका में ही उतरना पडेगा ।*
रीतू बाबू कहते, “वात तो तुमने बिल्कुल सही कही है वोका । हरि अपना पार्ट
किसी को नहीं देता ।”
वोका कहता, “देखिये न, मुझे बिल्कुल बोका (बेवकूफ) सजा कर बाप के द्वारा
दिये गये नाम को ही उड़ा दिया । सचमुच ही मैं बेवकूफ ही हो गया । आप जिस
गीत को गाते हैं वह अक्षरशः सही है । लीलामय नटवर हरि जिसुको जिस रूप में
सजाते हैं, उसे उसी रूप मे सजना पड़ता है 1 ˆ `
उस दिन उस गीत की दो पंक्ति हे हए फीद-यक लेरे क होर्कपर पहुँचा,
गोरा बाबू ने कहा था, “हरि तो मुसीवत में फंसे गंपार्है मार्सिटर साहव । सजाने
लायक आदमी ही नहीं मिल रहा है । बात मासूम दै?
सुन चुका हूं । कई दिन यहाँ नहीं था । घर यानी श्रीरामपुर गया था--वहाँ
से वावा तारकेश्वर । परसों वापस आया हूँ । बोका से सब सुनने को मिला ।'
बहू आपको कहाँ मिल गया ?”
*वता रहा हूं । भरे ओ शिवनन्दन, कहाँ है तू ? एक गिलास पानी पिला ।
हाँ, तो कल एक बार अभिसार में निकला था । मिनर्वा थियेटर के पास आमने-सामने
मुलाकात हो गयी । वह भी बिल्कुल दरवाजे के पास । वह निकल रहा था और मैं
अन्दर जा रहा था । मैंने कहा. कौन, वोका ? वोका ने चरणों की ध्रूल लेकर कहा --
हाँ, दादा मैं ही हूं ।'
मंजरी माकर खड हुई, उसके हाथ के शीशे के प्लेट में मिठाई और झकमक
मजे हुए मुरावावादी गिलास मे पानी है । स्नान हो चुका हैं, सिर पर हत्का घूंघट है,
ललाट पर सिन्दूर की वेदी । पहरावा फारसर्डागा कौ सादी 1 कुल मिला कर मंजरी
बडी हो प्रसन्न दौख रही है 1, मंजरी लम्वी-छरहरी है, उसकी सेहत ठीक है, उम्र
सत्ताईस-अंद्राईस, मगर उम्र की तुलना में गम्भीर दीखती है! खूप, वय घौर तरुणाई
में कोई कमी नही है, लेकिन तरुणाई की चंचलता नहीं है 'उसमें । प्लेट और पानी का
गिलास नीचे रख कर बोली, “आप जेसे ही पहुँचे, शिवनन्दन से मैंने कहा--जाकर
मिठाई और पानी दे आ। मेरा हाथ फंसा हुआ है । लेकिन वह खीरा-प्याज . ~
बैठ गया है । मास्टर साहुव का नाम लेकर कहा--वे आये हुए हूँ। सादे पानी से
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