श्री वीश स्थानक तप विधि | Shri Veesh sthanak tap Vidhi

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Shri Veesh sthanak tap Vidhi by मुनि मंगलसागर - Muni Mangalsagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) | रचना करे और इस्द्रष्वज चढ़ावे सैप्यमयी अष्ट साङ्- ' लिक चढ़ाषे, सुन्दर वर्ण गंधयुक्त पुष्प फठादि सामान रखे, और विविध प्रकारका पकवान चढ़ावे, भण्डारमें यथाशक्ति द्रव्य चढ़ाने, केवलज्ञानकों उत्सव करे और जिनविम्परं करावे, इस प्ररफार छ मास पन्त अरिहन्त पदके भाराधनसे सर्वेष्ट सिद्धि होती है । अरिहन्त पद के आराधनसे देवपालादिक सुखी हुए । | इति प्रथम पदराधनं बिधि ॥ ॥ अथ द्वितीय पदाराधन विधि ॥२॥ ( मोला-- ) 5 नमो सिद्धाण” इस पदकी २० माला फेरे । ( खमासमण-- ) १ सतिज्ञानावर्णि कम रहिताय सिद्धाय नमः २ श्र तज्ञानावर्णि कम रहिताय सिद्धाय नमः ३ अवधिन्नानावर्णि कम रदिताय सिद्धाय नमः




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