स्वाधीन भारत | Swadhin Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राष्ट्रीय सभा ( कांग्रेस, ) तथा उसके व्यपस्थापक ।
मानता ही नहीं तो फिर आपकी बातोंको मैं क्यों; सुनने लगा |
निसे आपने जातीयताकें खयालसे बढ़ा आदरणीय समझा--
जातीयताका जन्मदाता बतलाया है---उसने मास्सके छण क्या
किया? उसने तो कहा था किं शासनवर्गं न्यायसे चलेंगे, हम
खोंगेकि चाहिए कि हम भी उनसे प्रेमभावसे मिं ।
सम्पा०--बस, चुप रहिए। आपको शर्म आनी चाहिए ।
इतने बड़े प्रतिष्टित पुरुषके बारेमें ऐसी लज्जा-जनक बातें कह
रहे हैं । केसे निलंज हो । आपमें कृतज्ञताका ले भी नहीं
रह गया है । उनसे आप क्या चाहते थे ओर उन्हेनि क्य
नहीं किया । जानते हैं मारतमाताके चरणेंमें उन्होंने अपना
जीवन समर्पण कर दिया था । जब हम छोग अंसं अन्द् कर्
कार्नोका मैंद कर गादी नीद पड़े थे उस समय दादाभाईहीने
हम लोगेकि जगाया और दिखलाया कि अँगरेज लोग हमारा
खन चूसे चले जा रहे हैं । उन्हीं दादाभाईको यदि अँगरेज नन-
तामं अट्ट विश्वास था तो इसमें हजकी बात ही क्या है । क्या
एक कदम आगे बढ जानेहींसे हम लोगोंको उनका महत्त्व
मर जाना चाहिए ? और क्या इसीसे हम लोग ज्यादा बुद्धिमान
हो गये ? कया इसे भी बद्धिमानी कहते हैं कि जिस सीदीसे
हम उपर चदे अने उसीको दुकरा दें । याद रखिए उसका एक
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