स्वाधीन भारत | Swadhin Bharat

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Swadhin Bharat by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राष्ट्रीय सभा ( कांग्रेस, ) तथा उसके व्यपस्थापक । मानता ही नहीं तो फिर आपकी बातोंको मैं क्यों; सुनने लगा | निसे आपने जातीयताकें खयालसे बढ़ा आदरणीय समझा-- जातीयताका जन्मदाता बतलाया है---उसने मास्सके छण क्या किया? उसने तो कहा था किं शासनवर्गं न्यायसे चलेंगे, हम खोंगेकि चाहिए कि हम भी उनसे प्रेमभावसे मिं । सम्पा०--बस, चुप रहिए। आपको शर्म आनी चाहिए । इतने बड़े प्रतिष्टित पुरुषके बारेमें ऐसी लज्जा-जनक बातें कह रहे हैं । केसे निलंज हो । आपमें कृतज्ञताका ले भी नहीं रह गया है । उनसे आप क्या चाहते थे ओर उन्हेनि क्य नहीं किया । जानते हैं मारतमाताके चरणेंमें उन्होंने अपना जीवन समर्पण कर दिया था । जब हम छोग अंसं अन्द्‌ कर्‌ कार्नोका मैंद कर गादी नीद पड़े थे उस समय दादाभाईहीने हम लोगेकि जगाया और दिखलाया कि अँगरेज लोग हमारा खन चूसे चले जा रहे हैं । उन्हीं दादाभाईको यदि अँगरेज नन- तामं अट्ट विश्वास था तो इसमें हजकी बात ही क्या है । क्‍या एक कदम आगे बढ जानेहींसे हम लोगोंको उनका महत्त्व मर जाना चाहिए ? और क्या इसीसे हम लोग ज्यादा बुद्धिमान हो गये ? कया इसे भी बद्धिमानी कहते हैं कि जिस सीदीसे हम उपर चदे अने उसीको दुकरा दें । याद रखिए उसका एक




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