सरल मानव धर्म भाग - 1 | Saral Manav Dharm Bhag - 1

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Saral Manav Dharm Bhag - 1  by महेन्द्र सेन - Mahendra Sen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस प्रकार धर्म केवल किसी देवी देवता को पूजा से या यन्त्र मन्त्र से या तीथ॑ स्नान से पूरा नहीं होता बल्कि सच्चा धमं तो वह्‌ है जो आदमी के रहन-सहन चरित्र सभी को हर तरह से सही रास्ते पर लगाये, उसको अच्छा नागरिक बनाए ओर उसकी आत्मा को शान्ति पहुँचाए । सुख और शान्ति किस में है ? क्या अच्छा भोजन करने में है ? अगर ऐसा है तो किसी आदमी को चौबीस घंटे अच्छा भोजन ही खिलाते रहो तो क्या वह सुखी होगा ? थोड़ी देर के बाद ही उसका पेट अफर जाएगा और वह कहेगा कि मेरा खाना बन्द करो यह तो मुझे दुःख दे रहा है । केसा भो स्वादिष्ट क्यों न हो अब और मैं नहीं खा सकता । इसी तरह क्या सिनेमा देखने में सुख है ? अगर किसी को चौबोस घण्टे सिनेमा ही दिखाए जाओ तो सोचो उसका क्या हाल होगा । परन्तु क्या तुमने कभी सुना है कि किसी को ज्यादा ज्ञान प्राप्त हो जाने से बदहजमी हो गई हो ? आदमी जितना ज्ञान बढ़ाता है उसको उतना ही सुख मिलता है और ज्यादा ज्ञानी पुरुष ही दूसरों से बड़ा और अच्छा समझा जाता है । जिनको साधारण दुनिया में ऐशो आराम को चोज ३




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