अलेक्सांद्र पुश्किन चुनी होनी रचनाए भाग १ | Aleksandr Pushkin Chuni Huni Rachanae Part-1

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Aleksandr Pushkin Chuni Huni Rachanae Part-1 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परनक आत्मा ने फिर शनी कि तुम मेर सम्म जई, निर्मल, निग्छ्व रूप टरा-मो मानों उइती-सी परछाईँ। हद ह्व से फिर स्पत्दित ड फिर मे भूत अन्तरन्तार, उसे आम्या , मिरी प्रेरणा फिर से आयू , जीवन , प्यार! १८२५ जादे की शाम नमो दला पुथ तिमिर ५ ड उदाता धधष् माता सुजा सभी मलना भेना भभौ दरदरि-या थिस्ताता दुषु शवर वाब शभा शृषा चम {वाता आौर चभी भर नची-शां आ विरद था वट भषाना॥ उर दशा एना भन भूना जहा शया श्या बेल हुई निर का र कदा शष चुप है! बुर! अन्दर करा श्न कष करेला में अत गदर पके बरा सा चरद बह चुधू है ही [.8.,,,




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