भिक्षु जश रसायण | Bhikshu Jash Rasayan
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about छोगमल चोपड़ा - Chhogamal Chopada
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)= भिध्यु जश रसायण द (६)
मारीमात्त 'घणा सुखदाय । समसकी लागा पजर
। पाय रे ॥ म० ॥ ३ ॥ वीरभाणजी पणि तिशवार।
घ्ादरथा मिक्ख चयण उदार । श्ावे सोजत शहर
मार रे ॥ म० ॥ ४॥ बीचे गाम नान्हा जोणी `
सोय । दोय साथ किया शवकललोय । सीख इश पर
दीधी जोयरे ॥ म० ॥ ५॥ घौरभाणजीने कहे '
वाय । जो थे पहिलां जाबो यु पाय । तो या बात .
म करभ्यो काँय रे ॥ म० ॥ ६॥ पहिलां बात सण्यां `
मिड़काय । सनखश् हुवे सन मांय । तो पढ़े सम-
साया दौरा जायरे ॥ म० ॥ ७ ॥ मेम सो ते ापां
रा धुर है । मन ष्च्यां समसणा दुकर है। विग-
ड्ियां पछें काम न सरहै रे ॥ स० ॥ ८ ॥ कला विनयं
. करी हू कहस्यू । दिल श्रद्धा घेसाड़ी देखू' । युक्ति
सू समसकाइ लेसू रे ॥ म० 1 ॥ स्वामो एम स्याने
समम्छाया । कीरभाणजी ्ागच आया । रुषनाथजी
सोजत पायारे + म ॥ १०॥ कर्जोड़ोमे बन्दना
काधी । पूछें द्रव्य गुरु घसिद्धि । सायांरो शुक्ला मेट
दीधीरे॥ मः ॥ ९१ ॥ चीरसाणजी बोस्या बायो +
भावा त्तौ साचो भेद्ज पायो । मन शङ्क हृवे तो
मिटायो रे ॥ स० ॥ १९ ॥ अधाकर्मी थानक अशुद्ध
| आहार । बिन कारण निरथपिरणड वार । ापें भोगर्वा |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...