कविरत्न सत्य नारायण जी की जीवनी | Kavi Ratn Satya Narayanjee Ki Jeevani

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Kavi Ratn Satya Narayanjee Ki Jeevani by बनारसी दास चतुर्वेदी - Banarasi Das Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ८ ) पर इतना निवेदन कर देना मैं अपना कतंव्य समझता हैं कि सत्यनारायण जी के प्रति अपनी अनन्य श्रद्धा के कारण मै उस सम्तुलन को कायम नहीं रखे सका, जो एक निष्पक्ष लेखक के लिये अत्यन्त आवश्यक है । कविरत्त जी के असामधिक देहावसान से मेरे हुदय में जो भाव उठे, मैंने उन्हें ज्यों का त्यों चित्रित कर दिया है । अन्तरात्मा कै प्रति वफदारी किसी भी लेखक के लिपि प्रधान गण है, लोगों की सम्मति सर्वथा गौण । सत्यनारायण जीने स्वप्न मे भी यह आशा या आशड्ा न की होगी कि कोई उनका जीवन-चरित लिखेगा, वे इतने भोलेभाले और विनम्र व्यक्तिथे। फिर भी कई वर्ष के परिश्रम के बाद उनका यह जीवन-चरित प्रस्तुत किया गया था । यदि इसमे उनके आकर्षक व्यक्तित्व की कुछ भी' झाकी पाठकों को मिरु सके तो मै अपने प्रयत्न को सफल समझुंगा । बस्थुवर ज्योति प्रसाद भिश्च निर्मल जो को धन्यवाद' देता हिंमाकत होगी, क्योकि वे ३५-३६ वर्ष से हमारे इतने निकट है । ९९ नाथं ऐवेन्यू, नई दिल्‍ली । । ० बनारसीदास चतुबदी पुनश्च--- भाई हुरिशडूर जी शर्मा का यह आदेश है कि मै उस परिश्रम का जिक्र भी न करूँ, जो उन्होंने इस संस्करण के संग्पादन और प्रूफ संशोधन में किया है अपने अग्रज की इस आज्ञा का अक्षरशः पर्न करना मेरा कतंग्य है |




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