अग्रवाल जाति का विकास | Agrawal Jati Ka Vikas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अग्रवाल जाति का विकास  - Agrawal Jati Ka Vikas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about परमेश्वरीलाल गुप्त - Parmeshwarilal Gupt

Add Infomation AboutParmeshwarilal Gupt

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रस्तावना किसी ज्यति या उपजाति के निकास तथा विकास उसकी उन्नति तथा अवनति के ्रिषय में सत्य शान उसकी सोरव रक्षा मान: मर्वादा स्थापना उस्साइतेजन तथा तीतर चेतावनी के लिए आवश्यक है---नदस सत्य शन के लिट परिश्रम निर्भीकता विदत्ता और अम्वेघण+शामर्थ्य साहिये । अग्रवाल की उत्पत्ति कब और कहाँ से हुई कौन न महापुरुष उसके जन्मदाता तथा श्रेयस्कर हुए किस किसने 'आति को समृद्धि सम्पत्ति व वैभव के शिखर पर पहुँचाया किस किस ने छलके लिए यश और महत्व प्रात कराया और किस किसके द्वारा या किन किन कारणो से इख अग्रवाल उपजाति ८ या जाति ) का हात हुआ यह सक जानना आवश्यक ही है । कुछ पुराणों में कुछ भाटों ने कुछ मौखिक किंवदन्तियों में कुछ अम्रोहे के खडषटरो मे विद्धान्‌ या सष्टदय चजन इन बातों के पता लगाने का उद्योग करते रहे हैं । कई पुस्तकें भी छप चुकी हैं । किन्तु अभी षता प्रतीत होता है किं जैवे अधरे मेँ टरोल्बाजी । भी. परमेश्वरीलाल गुप्त जी आजमगढ़ निवासी ने अपने परिश्रम स्वरूप यह पुस्तक लिखी है जो एक मिन्न दृष्टिकोण से इस जटिल समस्या पर प्रकाश डालती है. उक्त गुप्तजी की सम्मति मे ओ अग्रसेन कोई व्यक्ति न थे । इस कारण उनका वक्तव्य दै कि अग्रसेन जयन्ती मनाना केवल भ्रम है । इस पर बाद बिवाद होगा--किन्तु विषय रेखा गभीर है जिस पर प्रत्येकं विद्धान्‌ हितैषी को अपनी सम्पति रखने ओर उसको प्रकाश करने का पूण रूप से अधिकार है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now