हिन्दू पद-पादशाही | Hindu Pad-Padshahi

Hindu Pad-Padshahi by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १६ ह दिंदु यवनों के शासन को अधिक काल ये लिए सदन न कर से । इस पत्र में उन लोों ने घर्मान्थ, दन्यायी यचनों फे शासन का रालाच्च परारी नग्न चित्र खींचते हुए लिखा था --इस लोग विधियों के निरंयी राज्य से अत्यन्त पीडन, पसं नन, धन वल छुचला जा रहा टे, प्योर हमारा धर्म सिट्टी में मिलाया जा रा । इसलिये है दिन्दू-घर्स के रचक ! दु्ों का दमन करने वाले ! विदेशी राज्य को घूल में मिलाने वाले शिवाजी महारा ! घ्याइये, शीघ्र प्रादय; दम द्ग दप समय >न।परि शेफ चथा उनक्रौ सेना फे ध्यघीन हैं । हमारा घन जन उन्हीं कै दाथ में | इसने दमें 'यपने दी घरों में केद़ी बना रखा है । द्वार पर ऋनि पटग विदा दिया हैं । मारा श्रन्न जल रोक कर व दमे भृष्का सारने का प्रयत्न कर रहा हैं । इसको मालृम हो गया हैं कि हम लोग श्रापते लद्दानुभृति रखते हैं तीर '्यापके चुनाने के लिये पद्यन्त्र' रच पढे हैं । लिये म दीन हिन्दुओं पर दया कर, रात को दिन समझे, आर जितना शीघ्र छोसके पाकर में काल के गाल से छुड़ाने की क़पा करें |” मदाराट्र की सीमा के वाटर वाल दिन्दु्ों के श्मात्त नाद ने शिवाजी फे हृदय पर कपा प्रभाव डला, चद लिना व्यर्थ ६, क्योकि जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य हो दिन्दू:धर्म की रक्ना करना था, वे मला ऐसे '्रवसर पर केसे विलम्च कर सकते थे ! शीघ्र दी मगो का मिद्ध सनापति “'दम्मीररावः श्रपनी सेना लेकर वां जा पहुंचा शरीर उसने वीजापुर की यवन सना को क युद्धस्थर्लो पर पूर्ण रूप से पराजित केया और हिन्दुर्मो को मुसलमान श्रन्यायियों के पंगुन सं,छ्ुड़ा कर उस पान्त को म्लेच्छ शासन से सक्त करा दिया । पूला योर सुपा की छोटी जागीरों को उच्चित प्रवन्थ करके, तथा प्रपने वारु मावलों (जिल) को पूरगां रूप से संगठित करने के प्रनत्तर, शिवाजी ने लगमग १६ वपं की व्चम्था ये श्रपने कुछ चुने- 7 प्रमुख बीरों की सद्दायता से उस प्रान्त के तोराना व्यौर दृमरे प्रसिद्ध




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