ज़ुकाम, खांसी, दमा की सफल प्राकृति चिकित्सा | Jukam, Khasi, Dama Ki Safal Prakrit Chikitsa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुछ घण्टे का उपवास । उसके बाद कुछ खाना भी हो तो रुखा सुखा खाए । बस जुकाम गया । दूध दही मक्खन घी मीठा पकवान का सेवन पॉच सात दिन न करे । बस हो गया जुकाम का इलाज । खांसी बहुत दिन तक जब जुकाम बना रहता है साथ ही कुछ असयम भी चलता रहता है तब जुकाम पक्र कर खाँसी का रूप लेता है । फेफडो सें कफ का जमाव हो जाता है प्रकृति उसे निकालने के लिए जो धक्के लगाती है । उनका लगना ही खाँसी है । खाँसी को हटाने के लिए कफकारक वस्तु का त्याग कर नेतियाँ वमन करनी है । साथ ही छाती का गर्म +ठण्डा सेक करना है जिसकी विधि आगें बताई गई है । खाँसी के भेद भी हो जाते है एक तो कुछ खासने से कपः इलेष्म आता है । दूसरी सूखी खाँसी होती है । तर खाँसी के लिए - मुलहठी चूर्ण ६ से ६ ग्राम तक पावभर दूध मे पकाकर लेने से लाभ होता है । अथवा पीसी हल्दी इतनी ही मात्रा में गमं टूघ सग लेने से भी लाभ होता है । गुलबनफणा ६ ग्राम उन्नाव ४ नग रेशाखतमी ६ ग्राम सौफ १० ग्राम पका कर पिलाना लाभप्रद है । नेती बमनादि कियाएं तो साथ साथ करनी ही है । सुखी खासी के लिये--बड़ी हरे के छिलके मु ह मे रखे चूसने से बड़ा लाभ होता है । संयम व का प्रभाव न कुछ दिन भी रोगी ने सयम निभाया धैर्य पूवक रहा तो निश्चित ही जुकाम खासी तो जाएगे ही । धैर्य रखो जल्दी से लाभ ६




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