श्री कानजी मतखंडन | Shri Kanjee Mat Khadan Ac 522
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ५ )
पद्धति की श्रवदलना श्रौर श्रविवेक समभतादहं । इस
स्पष्टीकरण से उनका अनादर से नहीं समता हूं,
अर इसे व्यक्तिगत शआक्षप भी नहीं मानता हू । जिस रूप में
बे हैं उतना मै उनका आदर करता हू । में तो डदय से
चाहता हू कि वे एक सच्चे दिरास्वर जेन बनकर शास्त्रानुसार
प्रवचन करे और उसी आगम की मान्यतावाले दिगस्बर
जैन बनावें । तब वे एक विशिष्ट गणनीय सच्चे आदरणीय
सत्पुसष बन जायेंगे ।
म'रेना (मध्यभरेश) मक्वननाल वास्त्री
दि? १० १.५५
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