गांधी जी | Ghandi Ji
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
कमलापति त्रिपाठी - Kamlapati Tripathi,
करुणापति त्रिपाठी - Karunapati Tripathi,
काशीनाथ उपाध्याय भ्रमर - Kashinath Upadhyay 'Bhramar',
कृष्णदेव प्रसाद गौड़ - Krishndev Prasad Gaud,
विश्वनाथ शर्मा - Vishwanath Sharma
करुणापति त्रिपाठी - Karunapati Tripathi,
काशीनाथ उपाध्याय भ्रमर - Kashinath Upadhyay 'Bhramar',
कृष्णदेव प्रसाद गौड़ - Krishndev Prasad Gaud,
विश्वनाथ शर्मा - Vishwanath Sharma
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कमलापति त्रिपाठी - Kamlapati Tripathi
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करुणापति त्रिपाठी - Karunapati Tripathi
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काशीनाथ उपाध्याय भ्रमर - Kashinath Upadhyay 'Bhramar'
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कृष्णदेव प्रसाद गौड़ - Krishndev Prasad Gaud
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विश्वनाथ शर्मा - Vishwanath Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिवारके छोग आगे-झांगे चल रहे थे.। गुरखा तथा पैदल-सेनाके लोग आरे-आगे
राह ठीक करते थे ।
विड़छा भवनसे राजघाटतक पांच मीलकी दूरी है। सारी राह, पथ,
पटरियाँ, चृक्त, घरोंकी छंतें जनसमूहसे परिपूणण थीं । मजुष्यका सागर उमड़ पड़ा
था | राह भर छोग पुष्प वर्षेण कर रहे थे । इतनी महती मीड़ दोनेपरर सी 'चारों ओोर
शांति थी। केवल थोड़ी थोड़ी देरपर महात्मा गांधीकी जयः की ध्वनि ही सुनायी
पड़ती थी । दिद , मुसलमान, ईसाई, पारसी, एंग्छो-इंडियन तथा यूरोपियन सभी
इस भीड़में थे । ख्ियोंकी आंखोंसे आंसू निक रहे थे । डाक्टर राजेंद्रप्रसाद भी
चधौसे पहुँच गये थे और आचाये कृपालानी भी 1
दिल्छी द्रवाजेके पास शाही वायुसेनाके वायुयानने नीचे 'ाकर पुष्प
बृष्टि की और इसी प्रकार थोड़ी-थोड़ी देरपर ऐसा ही होता रहा । सारा वायुमंडल
पुष्पोंकी पंखुरियोंसे भर गया था |
चार बजकर बीस सिनटपर शव राजघाटपर पहुंचा । छाल किलेके पीछे
जमुना पुलके पूरब सरकारी निर्माण-बिभागने बारह फुट लंबा, वारह् फट चौड़ा
तीन फुट ऊँचा मंच वनाया था, उसीपर सादे चार वजे अर्थौ रली गयी १ यमुना
जलसे चको स्नान कराया गया । पंद्रह सन चन्दनकी लकड़ी, चार मन घी,
एक मन नारियलकी गरी श्रौर पंद्रह सेर कपूरसे अन्त्येषटि क्रिया की गयी ।
वेदिक मंत्रों से पंडित रामघन शर्माने संस्कार आरम्भ किया । अगणित पुष्प सालाएँ
अर्थीपर रखी हुई थीं । सबसे पहले चीनी राजदूतने चर्थीपर माला रखी, इसके
पश्चात् रोर राजदूतोँने तथा अन्य लोगोंने । ४-५५ मिनटपर देवदास गांधीने दाह-
संस्कार किया । लेडी माउण्टवेटन मद्राससे बायुयानसे आ गयीं थीं ।
शव जल जानेके वाद उसकी राख, लकड़ीका टुकड़ा तथा और शेप
वस्तुका छुछ चिन्ह लेनेके लिए जनता प्रयत्न करती रही । सूर्यास्त दोते होते
सहात्माजीका शरीर भी जकर राख हो गया । संनिक रक्ताके लिए निय क्त कर दिये
गये ये 1 रविवार, पहटी फरवरीके प्रातःकाल अनेक सब्जन तथा तेता राजघार
गये । जदो मद्यात्माजी जलावे गये थे वहां पंडित जवाहरलालने माला अर्पित दी |
रविवारके दिनिभर दशनके देतु लोगोंका तांता चंधा हुआ था । सोमवारको येदिक
संग्रोंफे साथ विधिपू्क डेट घंटे पूजाके पय्वात् मददात्साजीका फूछ एकत्र क्या
कन
६
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