पंत और पल्लव | Pant Aur Pallav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ पंत श्यरीर प्लव
एक उदाहरण परौर-
'पलवोड़ा चाल लट्र, झनानक खपकूर्तोके,
प्रसूनों फे दिंग रकफर, सरफती दे सत्वर 1”?
--पैंचजी
'पत्नव” के प्रवेश में हम लोगों के समभने के लिये
पंतजी ने श्पनी इन पंक्तियों की व्याख्या भी कर दी हे । मेरी
समभक में यद्द भाव पंतजी का नहीं, यद्द भी रींद्रनाथ दी का
है। पहले को तरदद कुछ परिवर्तन करके इसकी भी पंतनी ने
बैसी दी दृत्या की है--
“श्यामल झामार दुइटी कूच
मारे मामे तादे फुटिमे पल 1
खेला ले काछे शासिया सष्ठरी
चकिते चुमिया परलाए जाये ।””
न्नूरदाद्रनाथ
कितने सुर भाव की हत्या की गई है ! पंतजी ने लिया
` है इन्दं इतनी पंक्तियों का भाव, परंतु ररवींद्रनाथ की सौंदये
की 'झप्सरा कुछ चोर नवीन नृत्य दिखलाती है । अभी पूर्वोक्त
पयय अधूरा है। चहद अंतिम अश इस प्रकार है--
“शरम-विमला छुसुम-रमणी `
फिरात्रे ्रानन शिहरि श्मनि,
श्रावेशेते शेपे श्रवश शोइया
खसिया पढ़िया जाने ;
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